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विधानुशासन 2596959059695
ॐ नमो भगवती वृद्ध गरूडाय सर्व विष विनाशिनि भिंद भिंद छिंद छिंद गृह गृह एहि एहि भगवती विधे हर हर हुं फट स्वाहा ॥
ॐ नमो भगवत्यादि मंत्रमष्टोत्र शतं पठित्वा क्रोश पटह ताडयेद्दष्ट सभियौ उपरोक्त ॐ नमो भगवती आदि मंत्र को एक सौ आठ बार पढ़कर पटहं (ढोल) को सर्प के काटे हुए के पास बजावे |
धृत्वार्द्ध चंद्र मुद्रां दक्षिण भागेहि दंशिनः स्थित्वा, वदतु तव गौरिं दानीत्तस्कर लोकेन नीतेति ॥
फिर सर्प से काटे हुये के दाहिनी तरफ ठहरकर गौरी अर्द्ध चंद्र की मुद्रा बनाकर कहे कि तुम्हारी गाय को चोर ले गये हैं ।
तं समाहत्य पादेनयाहि त्युक्ते स धावति, उत्थापयति तं शीघ्रं मंत्र सामर्थ्य मीद्धशं ॥
ऐसा कहने पर वह पाचों को समेटकर भागता है, अच्छी जल्दी उठता है। इससे मंत्र की शक्ति दिखाई
देती है।
फणि दष्टस्य शरीरादौ स्वाहा मंत्र तो विषं हत्वा, सो मस्तक ललाटाव द्रुतं मंत्रेण पातयेत् ॥
सर्प से काटे हुए के शरीर से स्वाहा युक्त मंत्र के द्वारा विष को नष्ट कर देने से वह अपने मस्तक ललाट आदि को जल्दी जल्दी गिराता है।
ॐ नमो भगवते वज्र तुंडाय स्वाहा ॥
यह विष नष्ट करने वाला मंत्र है।
विष हरण मंत्र
रक्त नरव द्रुतं पातय पाता ना नर नर नर नर हुं फट घे घे स्वाहा ॥ इति पातन मंत्रः यह गिराने का मंत्र है।
इमामो फट मंत्रेणो उच्चारणात पतति भोगिना दष्टः,
ॐ हामादि फंडतो दष्ट पटाछादनो मंत्र : ॥
ईं आं ॐ फट मंत्र के उधारण करने से (भोजिना) सर्प से काटा हुआ प्राणी गिरता है। ॐ हां फट अंत वाले मंत्र कपडा ढकने का मंत्र है।
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