________________
CHRISTISTORTOISO विधानुशासन PASCISIRISTRICISIOS
करवीरो द्भताया विकृतेः क्षीरं च यष्टि मधुकं च,
सौ वीरेण च युक्ताम भयां विद्धि प्रतिकार ॥१९२॥ यष्टि मधुकं(मुलैठी) सौवीर(बेर) और दूध को तलवार के घाव के विकार का बिना भय के प्रतिकार करमालजाने.
क्षीरेण संयुत भूरि सित कंदे निषेवितो, लांगली विष भैषज्यं ग्रंथि को वा हितं मतं
||१९३॥ लांगली (कलिहारी) अतवा ग्रंथिका (पीपलामूल) को सितकंद (मोटे जीरे के कन्द) और दूध के साथ विष में सेवन करे।
करवीर विषे हिंगु रंभा पुष्पं प्रशस्यते , कपित्थस्य जंवाश्च रसःशाल्मलिरेव च
॥१९४ ।। तलवार के विष में हींग रंभा (केला) के फूल कैथ का रस जामुन का और रस सेमल की अत्यन्त प्रशंसा की जाती है।
शीतमंबु कुलत्यानं मषी या मधु सपिषोः, समटोपीतयोः श्वेल विक्रियायां प्रयोजयेत्
॥१९५॥ ठण्डा जल कुलथी का अन्न मासी (जटामांसी) शहद और घी को पीकर विष के विकार में प्रयोग करे।
तांबूल विषं हंति शर्करा लवणं गुर्ड, चिंचाम्लं यष्टि मधुक बीजानं मधुरं फलं
॥१९६॥ पान का रस शक्कर नमक गुड़ इमली की खटाई मुलेठी और महुवा के फल के बीज विष को नष्ट करते है।
तांबूल दल संभूता मुर: कुंठं व धनी, वाधा कटित्य पा कुर्यानावनं शीत वारिणा
||१९७॥ पान के रस और ठंडे पानी को सूंघकर और हृदय और कंठ को रोकने वाले कष्ट को दूर करे ।
अलं मलयजो जेतुं मदं पूगी फलोद्भावां, पष्टचूर्णेन संयुक्तो भक्षमाणः क्षणादिवः
॥१९८॥ ಇದರಿಥ59ಥಳದ ಆRY YEFF9FF9E