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________________ 95959595 विधानुशासन 59 सामेंद्रयव हृद्वारिकाये वाक्षीरभूत, निशामस्याम भृंगरोचन योरथ ॥ १८५ ॥ साम ( सोंठ ) इंद्रयय (इंद्रजो) भूत (नागरमोथा) निशा (हल्दी) श्याम (काली मिरच) भृंग (भांगरा) रोचन (ओरोचन) का पानी या दूध में बना हुआ क्वाथ विष नष्ट करता है। 15959595 सामकर्पूर विकृतो गव्येन पयसा ऋतां. विश्रयवागु शीतेश्च कषायं सिद्ध मौषधैः ॥ १८६ ॥ साम ( सोंठ) कपूर गाय का दूध में ऋतां (पकाकर ) यवागु शीत कषाय विष की सिद्ध औषधि है । अवंती सोम संयुक्त शालि मूल विषहितं, पथ्या यष्टिकणं जम्बू फलं सैंधव मेव च ॥ १८७ ॥ अवंती सोम (कांजी) सहित तायल की जड़ तथा हरड़े मुलेठी पीपल जामुन का फल सेंधा नमक विष में हितकारी है । पथ्या कल्कीकृता वारिणा त्रिपुष जन्मना, गुडाज्य क्षीर पानं वा करवीर विषापहं ॥ १८८ ॥ हरड़ त्रिपुष (खीरा काकड़ी) में से निकले हुए पानी में कल्क बना हुआ अथवा कनेर घी दूध को पीने से भी विष नष्ट होता है। गुड़ और हरीतक्या हरिद्रायाः पथ्याया रजनि रपि, प्रशाम्युंत्यु पयोगेन तुरंगम रिपोर्विषं ॥ १८९ ॥ हरीतकी (हरड़े) हल्दी और हरड़े भी उपयोग से तुरंगम रिपु (सफेद कनेर की जड़) के विष को नष्ट करता है। युक्तं चूर्णितया पीतंनव्यं गव्यं हरिद्राया, करवीर गरोद्रेकं द्रागेन विनिवर्तिते सार्द्धयग बीनेन पाययेत् द्वितीयं निशोः, करवीरवार्भिः कल्कितां वा हरीतकीं ॥ १९० ॥ आधे मक्खन के साथ दोनों हल्दी अथवा पानी में कल्क बनायी हुयी हरड़े तलवीर के विष में पिलावे । ॥ १९१ ॥ हल्दी के चूर्ण को गाय के नये (ताजे) घृत के साथ पीने से भी तलवार के विष की तेजी तुरंत ही नष्ट हो जाती है। es9695959529595७२३ P5959595959595
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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