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CRICISTOIEDISTRISTRICT विद्यानुशासन BASICSTOISTRICICISTRISH
क्षीरेणालक विर्षहेमंनां कोलस्य वा पिवेन्मूलं
तिल गुड काकोदुंबर सहितं वा रविदल स्वरसं ॥१४३ ।। बावलं कुत्ते के विष में दूध के साथ हेम (धतूरा) की जड़ या दूध के साथ अंकोल की जड़ अथवा तिल गुड़ को काकोदुंबर (अंजीर) और आक के पत्तों के स्वरस को पीये।
सांकोल मूलं शिफं द्वाथथत्रिफलहविष: फलं अलक गरले पेटांक्षीरे वा गुड मिश्रितं
॥१४४॥ अंकोल की जड़ तथा जटा त्रिफला और हविष फल को अग्निमंथ वृक्ष के फल के काय को अथवा गुड़ सहित दूध को बावले कुत्ते के विष में पीवे।।
अर्क दुग्धं गुड़ तैलं पललं च समसजतः न जातु जायते मंत्र सारमेय गराभयं
॥१४५॥ समान भाग आक का दूध, गुड़,तेल औप पलल (तिलकूटे) के खाने वाले को पागल कुत्ते के विष से कभी भय नहीं होता।
धान्याम्लेन स्नातः क्रथितेन कंरजवृक्ष पंचागैः,
तिष्टनात पतप्त स्सरमातमयस्यहरति विष करंज वृक्ष के पंचाग और धान्य और अम्ल(अमल बेल) के हाथ के जल से स्नान करके धूप में बैठने से पागल कुत्ते के काटे का विष नष्ट हो जाता है।
सित पक्षाक दिनो धूत पिप्पल ककॉटिका लेता मूलं
उन्मत्त श्रुनक विष हरमभिनव गोक्षीर पानेन ॥१४७ ॥ शुक्लपक्ष की प्रतिपदा (इतवार) के दिन रखे हुये पापल की जड़ तथा कर्कोटिका (कुम्हड़े) की जड़ को ताजे गाय के दूध के साथ पीने से कुत्ते का विष नष्ट हो जाता है।
धूपश्च मयुर रोमोत्थ सांदी दंशै समर्पितः हरेन्मतःश्वगरलं त चेष्टा काटोपि द्रुतं
॥१४८॥ मोर के बालों की धूप काटे हुए स्थान पर देने से पागल कुत्ते के विष और उसकी चेष्टायें सब दूर हो जाती हैं। श्वान( कुत्ता)
पिष्टवा नाल्युष मूलेन लिप्ताः शर्करयाथवा मत्तश्च दंत दशन संजातो रोहित वण :
॥१४९॥
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