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________________ SSDISIOTSIDEOSE विधाजुशासन IS9501510150158ISS क्षेत्रपाल की अधिष्यत्री देवी को मातृका अंबुज किर्गिक शतकात अगिल) मन्मय पर दस हजार जप करके सिद्ध करने से मकड़ी कुत्ता और गीदड़ का विष दूर होता है। इससे अभिमंत्रित जल से जखम को सिंचन करे । मंत्रोद्धार अलकांदिय पतेाक्ष सारमेय गणाधिपा अलकादि दष्टोमेतज्मे निर्विषं कुरू माचराय ठठः ॥ मत्ताऽलकशिवा स्वरतुरंगादि हरेत् गरलं सिद्धोऽद्युतपजप्पान्मंत्रोऽयं यक्ष क्षेत्रपालस्य ॥१३८॥ यह क्षेत्रपाल का मंत्र दसहजार जप से सिद्ध होने पर पागल कुत्ते गीदडी गधे और घोड़े आदि के विष को नष्ट करता है। पीतैराज्य गुड़ क्षीर दुर्दुर स्वरसैर्भवेत् पृथगांधफलोन्मात्रां पक्तः श्वा विष निग्रह : |१३९ ॥ घी, गुड़, दूध, दुर्दुर(पुनर्नवा) के स्वरस और पृथगांध फल (विजयसार) सप्तपर्ण के फल को पकाकर पीने से पागल कुत्ते का विष नष्ट होता है। काकोंदुबरि का मूलं नि:पिवेत्तंदुलांबुजा त्रिफलाशन मूलं वा मत्तश्वः गरलापहः ॥१४०॥ काक (काकजंघा) और उदंबर (गूलर) की जड़ों अथवा त्रिफला और अशन (त्रितक) की मूल को चावलो के पानी के साथ पीने से बावले कुत्ते का विष नष्ट होता है। भवेत्स सित वर्षाभूमूल माज्टोन कल्कितं दुदुंरस्य फलं पीतम लकविष शांतये ||१४१।। सफेद वर्षा भूमूलं (सफेद पुनर्नवा साठी) की जड़ को पुनर्नया के फल को घी में बनाये हुये कल्क को पीने से बावले कुत्ते का विष शांत होता है। गुडतैलार्क क्षीरे क्षीरं गद्यां विमिश्रितं पीतं गुड मधुक व्योषैर्वा मत्तस्य श्रुनो विषं हरति ॥१४२॥ गुड़तेल और आक के दूध को गाय के दूध के साथ पीने से बावले कुत्ते का विष नष्ट हो जाता है। ಎಡದ ಡ5' ®Q4 BಥEWS99/
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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