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0505125T015IDIST05 विद्यानुशासन 20501501501501505
हरिताल शिला पथ्या शकत गोधाळ कदियोः
टोषामलिं विषौद्भूत्य मालेपन विलप्यते ॥४२॥ हड़ताल मैनसिल पथ्या (हरड़े) छिपकली आक कीड़ो भौरे के विष को एक बार (सकृत) सेप करने से नष्ट करता है। (उद्धृत= फेंकना)(विलुप्त नष्ट करना)
हिंगु विश्वशिलाजाति कुसुमं गोमयां बुच एतैरा लेपनं कृत मलिनो गरलं हरेत्
॥४३॥ हिंग विश्व शिला (मेनसिल) जाति कुसुमं (चमेली के फूल) गोबर के पानी का लेप भौरे के विष को नष्ट करता है।
जयेदबीज तरोबींजंक्षीरेणर्केण भावितं आलिप्तमलिनो विरेत्तदुत्वां विष वेगतां
॥४४॥ आक के दूध में भावना दिये हुए बीज तरू (भिलावा) का लेप भौरे के विष की वेदना शीघ्र ही नष्ट करता है और उत्पन्न हुए विष के वेग को जीतता है।
पिष्ट : रवदिर नियासस्तत्पन्न स्वरसेनय: सक्षुद्र सिकत्थ स्तस्या शनस्येन्नलि विषं व्यथा
॥४५॥ जो कोई खदिर निर्यास (कत्थे) को उसके पत्तों के रस तथा सहद की मकूर्वी के छत्ते के मोम के साथ पीसकर लेप करता है उसकी भौरे के विष की वेदना शीघ्र ही नष्ट हो जाती है। (क्षुद्र- सहद की मकूवी) (सिकत्थ:- मकूवी का मोम)
नागपना बुना हिंगु साहितेन विलेपनं
अलिक्ष्वेल जित् इक्ष्वाकु दलां जनोत्था बुना ॥४६॥ नागपत्र (नागरवेल का पान) के जल के साथ हींग का लेप अथवा गन्ने (इक्ष्याकु) केरस के पानी का अंजन करने से भौरे का विष जीता जाता है।
त्रिवर्ष जात कप्पास मूलं वश्विक जे विषेलिपेतं
कंटक पुरख्या वा मूलं सलिल कल्कितं ॥४७॥ तीन वर्ष की पैदा हुयी पुरानी कपास की जड़ अथा वकंटक पुरखी (श्वेत सरफों का) के जल में बनाये हुए कल्क का बिच्छु के विष में लेप करे। OTSPIRISRTISIOTISISISTES६९९ PTSD525505250ISCII