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C501520551055055125 विधानुशासन ISIOTSION505125513455
वृश्चिक विषापहारो भवति सु सौ वीर पिष्टयो
चिहिता चक्रांकि पुनर्नवयो लेपार्द अकं नाग द्युतद्यो ॥४८॥ अर्क (आक) नाग (नाग केशर) चक्रांकी (काकड़ा सिंगी) पुनर्नवा (साठी) और सौवीर (बेर) को पीस कर लेप करे तो बिच्छु का विष तुरन्त ही नष्ट हो जाता है।
वृश्चिक रकस्य च वन्हे दीपस्टवा शुभिः पिष्टं लेपादिना हन्यात् सद्यो वृश्चिक जं विषं
॥४९॥ बिच्छु घास वन्हि (चित्रक) द्वीपसल चीनी आयुष... जो नीक ले करने से बिच्छु का विष नष्ट करता है।
मालत्या नूतनं पत्रं सैधवं रामठं शिला छगन स्वरस स्तेषां गुलिकालि विषं हरेत
॥५०॥ मालती (चमेली) के नये पत्ते सेंधा नमक रामठ (हींग) शिला(मेनसिल) छगुणा (गोबर) के रस में बनाई हुयी गोली भौरे के विष को दूर करती है।
कौमुद शैरीषाभ्यां पुष्पाभ्यां लेपकादिरलि विषजित
षदगंथिकाथ चंगन मंजिष्टा शारिबाभिवा ॥५१॥ कुमुद (श्वेत कमल) और सिरस के फूलों का लेप अथवा पदग्रंथा(यच) चंदन मंजठि शारिबा (गोरोसर) का लेप भौरे के विष को जीत लेता है।
धूपो विरचितो दंशे यताक्त बहिणः छदै वृश्चिकोथ विषं हन्यात् सुदुस्सहमपि क्षणात्
॥५२॥ घृत में तर किये गये हुए मोर के पंखों की धूप से बिच्छु का अत्यंत दुस्सह विष भी क्षण मात्र में नष्ट हो जाता है।
॥५३॥
शिरीष नक्त मालास्थि कुनटि कुष्ट कुंकुमैः
गुलिकाक्षिक श्वेलं हरेत् संक्रामोदपि सिरस करंज (नक्तमाल) की गुठली कुनटी (मेनसिल) कूष्ट (कूट) कुंकुम (केशर) की गोली बिच्छु के विष को नष्ट करती है और बदलती भी है। 50150155550551015[७०० PSICSIRISEDICISIONSIDASI