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________________ CISTORICISCISTRISODE विधानुशासन 9505051250ISSISI इस यंत्र के ऊपर देवी का पूजन चन्दन आदि से करके फिर इसप्रकार का दूसरा यंत्र बनाकर उसमें प्रथम मंत्र में से मंत्र के अक्षरों को लेकर लिखे। इसको जनन कहते हैं। २. मंत्र को 'हंस' मंत्र के सम्पुट में एक सहस्त्र जपने को दीपन कहते हैं। जैसे : हंसः रामाय नम सोऽहं। ३. मंत्र को 'हूँ' के सम्पुट में पाँच सहस्त्र जपने को बोधन कहते हैं। जैसे :- हूँ रामाय नमः हूँ। ४. मंत्र को फट् के सम्पुट में एक सहस्त्र जपने को ताड़न कहते हैं। जैसे- फट् रामाय नमः फट. ५. ताड़पत्र पर लिखे हुए मंत्र को ऐं हंसः ॐ मंत्र से एक सहस्त्रबारअभिमंत्रित जल के द्वारा अभिषेक कराने को अभिषेक कहते हैं। ६. मंत्र को "ॐ"त्रों वषट् के सम्पुट में एक सहस्त्र जपने को विमलीकरण कहते हैं। जैसै- ॐ त्रों वषट् रामाय नमः वषट् त्रों ॐ । ७. स्वधा वशद् के सम्पुट में एक सहस्त्र जपने को जीवन कहते हैं। जैसैः स्वधा वषट् रामाय नमः स्वधा"। ८. दूध, घी और जल के द्वारा उसी मंत्र से एक सहस्त्र और तर्पण करने को तर्पण कहते हैं। ९. "हीं" के सम्पुट में एक सहस्त्र जपने को गोपन कहते हैं। जैसे - "ह्रीं समाय नमः ह्रीं । १०. "मौः" के सम्पुट में सहस्त्र जपने को आप्यायन कहते हैं। जैसे - ह्यौं: रामाय नमः ह्यौंः । Qಡದಾದದಥ_3_ಣಬಣಣಸಣಣದ
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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