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151 विधानुशासन 7595959595
म्यू पिंड़ गतं हंसस्थ मथ स्वरावृतं विलिखेत्, सविसग्ग कूट पत्रष्टकाब्ज परिवेष्टितं नाम
॥ २६५ ॥
पिंड़ाक्षर को हंस के बीच में सोलह स्वरों से वेष्टित के बीच में नाम को लिखे उसमें चारों तरफ आठ दल के कमल में विसर्ग रहित कूटाक्षर (क्ष) लिखा हुआ हो ।
इति रक्षाब्ज मेतत् शुचि प्रदेशेषु खटिकया लिखितं, मजसि धृतं वा दष्टं रक्षति च तथा ग्रह ग्रस्तं
॥ २६६ ॥
मंत्री इस रक्षा कमल को पवित्र स्थान में खड़िया से लिखकर मन में धारण करने से डँसे हुये पुरुष की रक्षा करता है ।
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