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SASOI50150150151215 विधानुशासन 50151215215105585I
नियत जपात स सिद्धयति दशांश होमेन फणि समा कृष्टिः प्रणवादि स्वाहांतधित विरि शत्दादि को मंगः !' २०४!!
नियुत जपात लक्ष जप्पात सं सिद्धयति सम्यक सिद्धिं प्राणोति कथं भूतेन दशांश होमेन
॥ २०५।।
दश सहस्व हवनेन का फणि समाकष्टिः नागाकष्टि प्रणवादि स्वाहातः
। २०६॥
ॐ कारमादि स्वाहा शब्दं अंतं चिरि चिर विधिर शब्दादि को मंत्रः चिरि चिरि रिठि शब्द माद्यो मंत्रः
॥२०७॥
ॐ चिरि रीनं वारुणी एहि-एहि कह-कह स्वाहा॥ यह नाग आकर्षण मंत्र एक लाख जप और दशांश हवन से सिद्ध होता है।
चिरि चिरि इन्द्र वारुणी एहि-एहि कह कह स्वाहा॥
नाग प्रेषणा मंत्राशीति दश सहश्र दशांश होमेन सिद्धयति जाप्पेन पुनः शोणित कणवीर पुष्पाणां ॥२०८।।
नाग प्रेषण मंत्रः नागानं क्षुद्र कर्म करण स्थापन मंत्र अशीति सहश्र अशीति सहश्र प्रमाण जाप्पेन कथं भूतेना दशांश होमेन ॥ २०९॥
अष्ट सहश्र हवनेन सिद्धयति सिद्धिं प्रायोति पुनःजपेन युतः केषं शोणित कणवीर पुष्पाणां रक्त कणवीर पुष्पाणां नाग प्रेषण मंत्रः
॥२१०॥
ॐनमो नागपिशाची रक्ताक्षी भकुटिमुरवी उच्चिष्ट दीप्ति तेज से एहि-एहि भगवती हुं फट स्वाहा ॥
वाल्मांक निकटे होमं कुर्यात् त्रि मधुरान्वितं मंत्र सिद्धैत मा जप्प प्रेषये दुरगेश्वरं
॥ २११ ॥