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विधानुशासन 595959595
शकुन
कुलिकोदयः प्रस्थाने दक्षिण भागोदित भुजलतयो श्रुत सिद्धैः, सफल तरौ का कुरूतं शुभ वचनं गीत मपि वाद्यं ॥ ६४ ॥ कुलिक नाग के उदय में चलते समय यदि मंत्री दाहिने हाथ की तरफ कौवे का शब्द अच्छे ययन गायन या बाजे आवे तो समझना चाहिये कि जाने का उद्देश्य सिद्ध होगा।
मंत्रिणी निगठिति सत्या क्रंदों बुंजलादि विहंगानां, रोदनम मंगल वचः श्रवणश्चन कार्य सं सिद्धयैः
॥ ६५ ॥
यदि मंत्री के जाते समय वंजुल आदि पक्षियों के चिल्लाने रोने अथवा अन्य अमंगल शब्द सुनाई देवे तो समझना चाहिये कि कार्य निश्चय से सिद्ध नहीं होगा।
॥ ६६ ॥
विर्णिकाष्ट मंगला गो गज कन्याज्य दुग्ध दधि शंखाः, शत पत्र लोह फल जल सुराः शुभा अभिमुखा द्रष्टाः तीनों वर्णों के मनुष्य आठों मंगल द्रव्य गाय, हाथी, कन्या, घृत दूध दही शंख शत पत्र (कमलमोर) लोहा फल जल और देवता आदि जाते हुए मार्ग में मिले तो अच्छे होते हैं ।
गृद्धोलूक कपि द्विप श्रृंगाल माहिषाहि पिशित भसित शवेः, कार्पास कपाल तिलौयैश्च न सिद्धये पुरौ दष्टौ
॥ ६७ ॥
किन्तु गिद्ध उल्लू बंदर द्विप (हाथी) गीदड़ भैंस, सर्प मांस खाया हुआ शव अर्थात् अस्थिपिंजर कपास कपाल और तिलों को सामने देखे जाने से कार्य सिद्ध नहीं होगा।
धव फणिनो हन मार्जनं निषेधनं सर्वजातिति कलहश्च, नाशा दंशश्रागे दृष्टानिन शोभनानि स्युः
॥ ६८ ॥
धव (पुरुष) सांप का मारना कमाना निषेध करना सब जाति वालों की लड़ाई और नाशादंश (नाक में हँसा हुआ) का जाते हुए मार्ग में मिलना अच्छा नहीं होता है ।
निजकर निहित कुठारो विभक्तोष्टं पावकं च पुरः, मलिनाबर भर नारी रजको दृष्टो न सिद्धयै स्यात्
॥ ६९ ॥
हाथ में कुल्हाडी वाला कटे हुए होंठ्याला अग्रि गांव मलिन वस्त्रों वाली स्त्री और धोबी को मार्ग में देखने से कार्य सिद्ध नहीं होता है।
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