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अक्षि स्फोटन मंत्रः शूची मुद्रां यह ग्रहों का अक्षि स्फोटन मंत्र है। इसकी शूची मुद्रा है।
भक्तयादि वायु पिंडो य य य य याः याः ग्रहानथ
समस्तान द्विप्रेषय घेघे हुं जः जः जः प्रेषण सु मंत्र ५९॥ ॐ एल्यू ज्वालमालिनी ह्रीं क्लीं ब्लूं ट्रां द्रीं य य य य याः याः सर्व दुष्ट ग्रहान प्रेषय-प्रेषय घेघे हां आंकों क्षी ज्वालामालिन्याज्ञापयति हुँ ज: जः जः।। यह प्रेषण मंत्र है। छुटिका मुद्रा है।
नामादिरग्निपिंड: शिरिव मद्देवि ज्वल द्वयं र र र र र रां रां प्रज्वल हुं ज्वल ज्वल धग युग धूं धूं धूमांध कारिणि ज्वलन शिरवे
देवान् नागान राक्षान गंधर्वान ब्रह्मा राक्षसान भूतानशत कोटि देवतास्ता: सहस्त्र कोटि पिशाच राजानां ॥६१ ॥
दह दह पदं प्रति पदं ये स्फोटय मारयेति युगलं च दहनाक्षि प्रलय धग दयित मुरित ज्वालिनी ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः ॥६२ ॥
सर्वग्रह हृदयं हुं पच छिंद छिंद भिंद दह दहेति मंत्र पदं
ह ह ह ह ह ह : हाः हाः फट घे घे ये होम मंत्रोयम् ॥६३ ।। ॐरम्ल्यूँ ज्वालामालिनी ह्रीं क्लीं ब्लूं ट्रां द्रीं ज्वल-ज्यल र रररररांरां प्रज्वल प्रज्वल हुंज्वल-ज्वलधग-धगधूंधू धूमांध-धूमांधकारिजिज्वलन शिरवे देवान् दह-दह नागानदह-दह यक्षान दह-दह गंधर्वानदह-दह ब्रह्मराक्षसान्दह-दह भूत ग्रहान दह-दह ब्दांतर ग्रहान दह-दह सर्वदुष्ट ग्रहान दह-दह शतकोटि देवतान दह-दह सहस्त्र कोटि पिशाच राजानां ग्रहान दह-दह लक्ष कोटि अपस्मार ग्रहान दह-दह धे घे स्फोटय-स्फोटय मारय-मारय दहनाक्षि प्रलय धग गद्धगित मुरिव ज्वालामालिनी ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं हः सर्व दुष्ट ग्रह हृदयं हुं दह-दह पच-पच छिंद-छिंद भिंद-भिंद दह-दह ह ह ह ह ह हाः हाःआंकों क्षीं ज्वालामालिन्याज्ञापयति हुं फट
घे थे।
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