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________________ CSP525252595 faengelena VSP5P5252525 ॐ नमो भगवते माणिभद्र देवाय भैरवाय कृष्णवर्णाय रक्तोष्ट्राय त्रिनेत्राय चतुर्भुजाय पाशा कुंश फल वरद हस्ताय नाग कर्ण कुंडल शिवाय यज्ञोपवीत मंडिताय ॐ ही झं कुरू कुरू ह्रीं आवेशय आवेशाय ह्रौं स्तोभय स्तोभय हर-हर शीघ्रं स्रुत्यस्रुत्य (सत्य- सत्य) ठः ठः अवतर अवतर क्षम् हमल्यं ल्यूं चन्द्रनाथ ज्वाला मालिनी चंडोग्र पार्श्वतीर्थकर धरणेन्द्र पद्मावती आज्ञादेव नाग यक्ष गंधर्व ब्रह्मराक्षस मरण भूतान भूत रति काम बलि काम हंतु काम ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र भवांतर ग्रहाना वेशय वेशय आकर्षय आकर्षय सहस्त्र कोटि पिशाच राजान् आकर्षय आकर्षय धुन-धुन कंप कंप कंपावय-कंपावर लीलय - लीलय लोलय लोला सर्वांग चालय-चालय हुं फट स्वाहा ॥ पद्मावती माला मंत्र आवेशस्य पदमावती देवी को उत्तेजित करने का मंत्र है । ॐ नमो दस्य पुष्पे रुद्राय शूल पाणये रौद्ररूपाय बंध-बंध स्तंभय स्तंभय गतिं छेदय छेदय हूं फटे ठः ठः ॥ रुद्राधि देवताय मंत्र सिद्धयेत पंच सहस्त्र रूप जपात् रक्षयै तन्मंत्रित या स्तंभे वृक्षेऽथ वेष्टयेत् भूतं ॥ ४२ ॥ बद्धं निगृहीतं च स्यादुक्त करं झटिति जप्तया, भूतं भव च भावि च सर्वं कथयेत् च परिपृष्टं ॥ ४३॥ यह रुद्राधि देवता का मंत्र पांच हजार जप करने से सिद्ध होता है। मंत्री इस मंत्र से रक्षा करके भूत को किसी खम्भे या वृक्ष से बांध लेवे । इस मंत्र से उसको पकड़कर बांधते हैं। वह भूत तेजस्वी मंत्री के कहे हुये सभी कार्यों को करता है तथा पूछने पर भूत वर्तमान और आगे होने वाले सभी कार्यों को बतलाता है । कुर्वीतं च सकलं तं यं मंत्री प्रार्थयेत् भुवनेच्छं स्यात् चास्य मुक्त रज्जोर्मुक्ति स्त जप्त जल सेकान ।। ४४ ।। मंत्री लोक में जो भी इच्छा करता है। यह इन सबको पूर्ण करता है। यदि उसको छुड़ाने की इच्छा हो तो बांधी हुयी रस्सी पर उसी मंत्र को पढ़कर जल छिड़कने से वह छूट जाता है। PSP59595959595 ५६७ 5969 SPSPSS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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