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05051255105512505 विद्यानुशासन DISTRI5015RISTOIDESI भक्षय-भक्षय अनलं विषं हर कुमारी रक्ष-रक्ष द्योगिनी, भक्षय-भक्षय शाकिनी, मर्द्धय-मर्द्धय डाकिनी, मय-मय पूतिनी, कंपय-कंपय राक्षसी छिंद-छिंद कौलिक मुद्रां दर्शय-दर्शय,सर्व कार्यकारिणी, सर्वज्वर मर्द्धिनी, सर्व सिद्धांजन प्रति पादिनि एहि एहि भगवती ज्वालामालिनी एकाहिकं, दयाहकि, त्रयाहिकं, चातर्थिकं,वात्रिक पैतिक थैष्मिकं सान्नि पातिकंबलां ज्वारादिकं पात्रे प्रवेशय. प्रवेशय, ज्वल-ज्वल ज्वालावय-ज्वालावट, मुंच-मुंच मुचावय-मुचावय, शिरं मुंच-मुंच मुरवं मुंच-मुंच ललाट, मुंच-मुंच कंठ मुंच-मुंच बाहु, मुंच-मुंच ह्रदटां, मुंचमुंच उदरं, मुंच-मुंच कटिं मुंच-मुंच जानुं मुंच-मुंच पादं.मुंच-मुंच आंछेदय-छेदय, क्रौं भेदाभेदा ही मद्धंट-मद्वंय क्षीं बोधय-बोधय हूं घूर्मय-घूर्मटा र र र र र रारा संद्यं पातय-पातय पर मंत्रान् छेदय छेदय परमंत्रान् स्फोटय-स्फोटा ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: घे घे फट स्वाहा ॥
॥ इति ज्वालिन्या देव्या मंत्रः॥ यह सब ग्रहों से बचाकर l८ करने जाग्यालाआमिनी मंत्र है।
॥ चितिंत कार्य साधक पार्श्वनाथ स्वामी का श्रेष्ठ मंत्र ।।
ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय ॐ णमो अरहंताणं हम्ल्यूँ हां ह्रीं हूं ह्रौं हूं: असि आउसा मम चितिंत कार्य सिद्धिं कुरु-कुरु स्वाहा ।।
जप्तेग्युत सहस्रेण मंत्रोयं पार्श्वनाथकंः, सिद्धिमेति प्रयंजाति माला मंत्रं तदं तिकं
॥४१।। यह पाश्नाथ स्वामी का मंत्र १००० सहस्त्र अथवा दस लाख जपने से सिद्ध होता है। इसके पश्चात माला मंत्र का प्रयोग करे जो आगे लिखा है।
तद्यथा ॐ नमो भगवते पाश्र्वनाधाटा धरणेन्द्र पदमावती सहिताय ॐ नमो भगवती पातालवासिनी धरणेन्द्र नागराज ह्रदटा प्रिये सांग सोंदरे काम रूपधारिणि स्वर्ग मृत्युपातालगामिनी एहि-एहि आगच्छ आगच्छ अज्रपात्रे अवतर-अवतरतिष्ठतिष्ठ स्वस्थो भव-भव मदान स्फोटा-स्फोटा रररररमम चिंतित कार्य सिद्धि करूकुरु अतीत अनागत वर्तमान वार्ता सत्यं कथय-कथय ।। CISIOSDISTRISTRI50151235५६६ PISTOISTRISIOISTRICISTRIES