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________________ SISO150150151065TOTS विद्यानुशासन 9851015015015101510051 ५. ॐ अंबे अंबाले अंबिके उजयंत गिरि निवाशिनि सर्व विघ्न विनाशिनि सर्वकामार्थ साधिनी यक्षी-टाक्षी महाराक्षी महाटाक्षी हम्ल्यूँ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं हू: दिव्य अहाज माट आकर्षन भावेशय आवेशय हूँ फट ये ये ।। (ग्रहों को बांधने का ब्रह्मा ग्रंथि मन्त्र) ॐ नमो भगवते श्री चंडोग्र पार्वतीर्थकंराय धरणेंद्र पद्मावती सहिताय रुद्र बंधं काल बंधं योग बंधंगलौक्ष्मं ठं स्वाहा ॥ ॐ नमो भगवते चंडोग्र पार्शनाथाय धरणेंद्र पद्मावती सहिताय सर्व दिग्बंधनं कुरु-कुरू द्रावय-द्रावटा यक्ष राक्षस भूतप्रेत पिशाचन छिंद-छिंद भिंद-भिंद हनहन दह-दह बंध-बंध क़ों क्रां क्लीं स्वाहा । यह दिशाओं को बांधकर गहों से रक्षा करने का मन्त्र है। ॐ हिलि-हिलि मिलि-मिलि कुमुलंद पार्श्व यक्षाय क्षयू खां क्षीं दूं क्षौं क्षः शिरवा बंध-बंध रक्ष-रक्ष स्वाहा।। यह शिखा बंधन मन्त्र है। ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ऊँवज्रशूलिनिवजशूलधारिणिज्यालिनी दुष्टग्रह नयनं छेदद्य-छेदय भेदय भेदय स्वाहा॥ । अयं नयन नाराच मंत्रः । ॐ हाल्च्यू ॐ ह्रीं वज़ मालिनी वज्रशूल धारिणि ज्वाला मालिनी दुष्ट ग्रह हृदा नाशय-नाशय छिंद-छिंद भिंद-भिंद ये ये हूं फट स्वाहा। अयं हृदय नाराच मंत्रः। यह हृदय छेदने का मन्त्र है। सह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः असिआउसा धरणेंद्र पद्मावती आज्ञा पाशेन सर्व ग्रहाणां दिग्बंधनं कुरु-कुरु स्वाहा ।। दिग्बंधन मंत्र यह दिशाओं की रक्षा करने का मंत्र है। SRISTRI50152508505५६४९1505250SARIDDISODY
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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