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CASIOISTRI51015015125 विद्यानुशासन 95015DISTRISTOT51015
अन्यत्प्रकारेणापि लामो पालो जमा हो ही ई हौं हः माणिभद्र देवाट भैरवाट कृष्णवर्णाट रत्तोष्ट्राय उग्र दंष्ट्राय त्रिनेत्राय चतुर्भुजाय पाशांकुश फल वरद हस्ताय नाग कर्ण कुंडलाय शिरवां यज्ञोपवीत मंडिताय ॐ ह्रीं-ही झां-झां कुरु-कुरु ह्रीं आवेशया आवेशय ह्रौं स्तोभय स्तोभय हर-हर शीयं-शीघं आगच्छ-आगच्छ खुलु-खुलु अवतर-अवतर व्यूँ हम्ल्यू झल्यूँ चन्द्रनाथ ज्वालामालिनी चंडोग्र पाव तीर्थकर धरणेद्र पद्मावती आज्ञा देव नाग यक्ष गंधर्व ब्रह्म राक्षस रण भूतादीन रतिकाम बलि काम हंतुकाम ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र भवांतर स्नेह बैर संबंध सर्वग्रहाना-वैशय नागग्रहाना वैशटा-वैशय गंधव ग्रहानाकर्षय-आकर्षय व्यांतर ग्रहानाकर्षय-आकर्षटा ब्रह्मा राक्षसग्रहानाकर्षट-आकर्षय सहस्त्र कोटि ग्रहाना कर्षट-आकर्षय पिशाच ग्रहानाकर्षय-आकर्षय सहस्त्र कोटि पिशाच राजानाकर्षय-आकर्षय किन्नर किम पुरूष गरूड़, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, भूत, पिशाच आकर्षा-आकर्षय अवतर अवतर शीघ्र-शीघ्रं धुण-धुण कंपय-कंपय कंपावा-कंपायय लीलय-लीलय-लालय लालय लोलय-लोलया नेत्रं चालयचालया गांत्र चालय चालय बाहुं चालय चालय आं को हीं गगन गमनाय स्वाहा।। यह ग्रहों को आकर्षित करने का मन्त्रा है।
ग्रहों को जगाने का मंत्र १. ॐनमो भगवते ब्रह्मोद्राय एहि-एहि अवतर-अवतर शीघ्र-शीघं आवेशयआवेशय आकर्षय-आकर्षय कंपटा-कंपय कंपावट कंपावट आकंपठआकंपय एल्यूँ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र:अमुक आकर्षय आर्कषय कुरु-कुरू संवोषट् । २. ॐ नमो माणिभदाय दिव्य रूपाय महर्षय-महर्षय एहि-एहि शीघं-शीघं आवेशय-आवेशय र र र र र र रां रों आं को हीं गगन मंडलाय स्वाहा ।।
३. ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाथ धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय उपसर्गाधीराय हाँ हीं ह्रौं हूँ: हूँ स्वस्थावेशाय नमः स्वाहा ||
४. ॐजलदेवता स्थल देवता पाताल देवता आकाश देवता वन देवता चतुष्टि योगिनी क्षेत्रपालिनी शीघं-शीघं आवेशय आवेशटा अवतर-अवतर गन्ह-गुन्ह हल्ल्यू हाँ ही हूं ह्रौं ह: स्वस्थावेशं कुरूकुरू आकर्षय-आकर्षय हूँ फट घेधे॥
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