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________________ PSPPSPSSPX विधानुशासन PSPSPPS9595 भोजपत्र या ताडपत्र पर ग्रह से पीड़ित प्राणी का नाम लिखे । उसको दक्ष म ल व र य को चौदहवीं कला अर्थात् औ सहित लिखे ( म ल व र य इन पांचों अक्षरों को मिलाकर कूट बीजक्षकार सहित और चौदहवी कला चौदहवें स्वर और सहित लिखे, यह बीज छ्ल्वर्यू बीज के नाम के बाहर लिखे इसके बाहर अग्नि मंडल लिखे । उसके बाहर वायुमण्डल लिखे। यह यंत्र आक, थोहर का दूध (सौंठ, मिरच, पीपल) त्रिकटुक और अस गंध और सरसों और घर का घूमसा को मिलाकर लिखे। इस यंत्र को लिखकर ग्रह से पीड़ित प्राणी केमस्तक पर या ललाट पर रखने से उसके ग्रह का आह्वान होता हैं । रररर्र रं नाम *रररर ܐ ܐ ܃ ܃ ܐ ܐ ܐ ܐ +1 755 ॐ नमश्चामुंडे हसंगे वर्मणे दमनो हुं हन हन हुं फट ठः ठः ॥ चामुंडा मंत्री सहस्र रूप प्रजाप संसिद्धः, आवेशने प्रधानं भूतादिनां विदुगुरवः || यह चामुंडा देवी का मंत्र एक हजार जपने से सिद्ध होता है। इस मंत्र को पंडितो ने के आवेश करने का प्रधान मंत्र कहा है। 5 5950 15954415PSP5959595 भूत आदि
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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