SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 491
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ C52525252595_ kengeneza 952525252525 ॐ नमो नमश्चचामुंडे भैरवी देवी हूं फट ह्रीं ह्रीं अप सरतु दुष्ट ग्रहान हुं तत्र गच्छतु गृहान्तु तत्र स्व स्थानं हरेणाज्ञा पयति स्वाहा । चौदहवें वर्ष में बालक को भैरवी के पकड़ने पर बुखार दुर्गंध शरीर में ठंडा पन भूमि में लोटना ऊँचा श्वास कंप घबराहट हो जाती है तथा खून बहने लगता है यदि यह सब लक्षण हो तों बालक अच्छा नहीं हो सकता अन्यथा उपाय करना चाहिये। खिचड़ी दूध अन्न (खीर) धूप फूल माला की बलि को क्रम से पूर्व दिशा में पूर्व दिशा में दोपहर के समय सात दिन तक देवे। पांचो पत्तों के पके हुवे जल से स्नान करावे और तगर बांस के छिलके तथा हाथीदांत को मिलाकर धूप दें। इससे ग्रही शांत होकर बालक को छोड़ देती है । पंचदश वर्ष जातं गृहीते चंडिनी ग्रही भूमौ पातो ज्वरार्दिनिंद्रा च बहुला भवेत चंदनं पायसं चैवं कसरं दधि भोजनं कुल्माषं तिल चूर्ण च चूत रंभादिसत्फलं उत्तरस्यां दिशिन्यसेत् सायं सत दिलं क्रमा अश्वगंधा मधूकाभ्यांषणांबु स्नानमाचरेत् ॥ २२७ ॥ ॥ २२८ ॥ ॥ २२९ ॥ ॥ २३० ॥ सिद्धार्थ लसुनं मेष श्रृंगं चादाय धूपयेत् एवं कृते प्रजारोगान् निवत्यैत् धुवं ततः ॐ नमो भगवति चंडिनिकाये श्येत माल्य विभूषितायै कर्पूर क्ष्यौद दंतुरायै ऐहि ऐहि इमं बालं गृह गृह बालकं मुंच मुंच स्वाहा । पन्द्रहवें वर्ष में बालक को चंडिनी नाम की ग्रही पकड़ती है तब यह पृथ्वी में लौटता है। ज्वर वमन तथा उसे बहुत नींद आती है। उसके लिये चंदन खीर खिचड़ी दही भोजन कुलथी तिल का चूर्ण आम और केला आदि अच्छे फलों की बलि को उत्तर दिशा में सायंकाल के समय सात दिन तक दें । असंगध और महुवे के पकाये हुवे जल स्नान करावे सफेद सरसों लसुन भेड का सींग लाकर उसकी धूप दें इसप्रकार प्रयत्न करने पर निश्चय से संतान के रोग से छुटकारा मिल जाता है । ग्रही शोडषाब्द समाजातं गृहीते रौरवी ज्वरश्चाद्विग्नाता शोषोत्पादश्च स्यु बहु विक्रियाः 959595959PP ४८ PAPP9695959 ॥ २३१ ॥
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy