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________________ 959595955 विद्यानुशासन 959596965959 में रखकर सायंकाल के समय श्मशान में मंत्रपूर्वक बलि दें। हाथीदांत लेप से तथा सर्प की कांचली और नीम पत्री की धूप देने से यह ग्रही बालक को छोड़ देती है। ॐ नमो भगवति चामुंडे महादेवी काल रूपिणी ऐहि ऐहि आवेशय आवेशय ह्रीं ह्रीं क्रौं इमं बलिं गृह गृन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा। पन्द्रहवें दिन की बलि रक्षा पंचदश रात्रि जाततं कुमारी नामिका ग्रही मुष्टि वंधोर्द्धनिस्थासो चलित प्रेक्षणं भवेत् पंच वर्ण चरुं माषभक्षं चो षसि निक्षिपेत् श्मशाने गंध पुष्पादि युक्तं मंत्री समंत्रकं निगुंडी निंब पत्राणि मेष श्रृंग समं पुनः पेषयित्वा थ चूर्ण च लेपयेद्वाल मातुरं ॥ ६९ ॥ सोलहवें दिन की रक्षा षोडशाह वयस्कं तमा ददाति महे आरि क्षीरारुचि ज्वरः छर्द्दिनिमील नमक्षोऽ भवेत 25252595950595 144 P/5PSP ॥ ७० ॥ || 198 || धूपनं हिंगु सर्पत्वक नरः मिश्र कृतं भवेत एवं सति प्रजां मुंचेत् कुमारी देवता ततः ॥ ७२ ॥ यदि पंद्रहवें दिन बालक को कुमारी नाम की सही पकड़े तो मुट्ठी बंध जाती है। श्वास ऊंचा चलने लगता है। और आंखे चली हुई सो हो जाती है। इसके लिये पांच रंग की नैवेद्य उड़द चूसने योग्य भोजन गंध पुष्प आदि की बलि को मंत्री मंत्र सहित श्मशान में देवें। निर्गुडी नीम के पत्ते भेड के सींग सब बराबर लेकर तथा सबको पीसकर उस चूर्ण का लेप उसी दुःखी बालक के शरीर पर करे। हींग सरसौं सर्प की कांचली नाखून मिलाकर धूप देने से वह ग्रही कुमारी देवता बालक को छोड़ देती है। ॐ नमो भगवति कुमारिके रक्ते माल्य विभूषिते ऐहि ऐहि आवेशय आवेशय ही ह्रीं क्रीं क्रौं इमं बलिं गृन्ह गृन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा ॥ ॥ ७३ ॥ 52950596
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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