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9595905951 विधानुशासन 959595266
प्रथम दिन की रक्षा
सद्यो जातां प्रजां काले मंदजना सा भिधा ग्रही गृहाति चे द्विका रास्ते भवत्ये तत्तदाधुयं
॥ १२ ॥
तुरन्त के उत्पन्न हुए बालक को मंदनासा नाम की देवी पकड़ती है। यदि यह देवी पकड़ तो निश्चय से नीचे लिखे हुए 'विकार उत्पन्न होती है।
ग्रीवायाः पृष्टतो भंगो लालाश्रावो मुखादपि भंजनं चोद्ध गात्राणं स्तनाभि ग्रहणेनवै
॥ १३ ॥
गर्दन के पीछे का भाग टूट जाता है मुँह से लार बहती है नाभि तक के ऊपर का अंग टूटने लगता है और बच्चा स्तन भी नहीं लेता है ।
तस्या प्रभूत गंधादि पंच वर्णान्न शोभितं क्षेत्रपालाग्रह तो दद्या द्वलिं मंत्रेण मंत्रवित्
॥ १४ ॥
मंत्री देवी को के बहुत सी गंध आदि पाँचो रंग के अन्न से शोभित बलि को नीचे लिखे मंत्र से अभिमंत्रित करके दें।
ॐ नमो मंदना से रावण पूजित दीर्घ केशि पिंगलाक्षि लंब स्तनि शुष्क गाये ह्रीं ह्रीं
क्रौं क्रौं ऐहि ऐहि इमं बलिं गृन्ह गृह बालकं मुंच मुंच स्वाहा ॥ मंजिष्टां तगरं लोद्र हरितालं स चंदनं
जलेन पिष्टवा लिंपेतां ततो मुंचति साग्रही
॥ १५ ॥
मंजीठ तगर लोघ हरताल चंदन को जल से पीसकर बालक के अंग पर लेप करने से वह सही बालक को छोड़ देती है ।
दूसरे दिन की रक्षा
यह जातां प्रजां भद्रा गृन्हीते यदि सा ग्रही रोदन' स्यान्मुहुः क्षीर वमनं ज्वर रोगतां
॥ १६ ॥
माषानं लाज धान्ये च पक्क शाकं जलाशये निद्यादऽपरान्हे तु बलिं मंत्रेण मंत्र वित्
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॥ १७ ॥