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________________ CSIRSSCRIOTSID505 विधानुशासन ISIOISODSIOTSCISION पिपली जीरकं वन्हि मपामार्ग तथैव च गौमूत्रेणैव सं पेष्य तेन बालं प्रलेपयेत् नरव केशेन: गौश्रंगे डूपये च यथा विधि: ततो भद्रा विमुंचेत्तं भद्रं भवति ततक्षणात् ॥१८॥ यदि बालक को दूसरे दिन भद्रा पकड़ कर कष्ट देती है तो वह बालक बार बार रोता है। दूध की वमन करता है, उसको बुखार आ जाता है। उसके लिए मंत्री उड़द का अन्न औक धान्य (चायल) की खील और पके हुवे शाक की बलि को दोपहर ढलने पर तालाब में मंत्र पूर्वक देये। पीपल जीरा यन्हि (चित्रक भिलावा) चिडचिटा को गोमूत्र में पीसकर बालक के शरीर पर लेप करे। तथा व्याघ्र नख बाल गाय के सीगों की धूप विधिपूर्वक दें। तब छोड़ देती है और बालक तुरन्त ही अच्छा हो जाता तीसरे दिन की रक्षा ॐनमो भगवते भने रावण पूजिते दीर्घ केशि पिंगलामी लंब स्तनि शुष्क गात्रे ही ह्रीं क्रौं क्रौं ऐहि ऐहि आवेश आयेश इमं बलिं गन्ह गन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा। त्रिरात्रिका प्रजा तावत घंटाली नामिका ग्रही गुन्हाति चेद्भवे तस्या जंभनं हसनं तथा ॥२०॥ बढ़ इग्मीलनं रोदं स्तनाऽग्रहण मे वच पंच वर्ण चकं माष भक्त मत्पात्र वेशितं ॥२१॥ बलिं न्येसत श्मशाने च मंत्री तन्मंत्र पूर्वकं दंति दंतं च गोदंत महि निमॉक मेवच ॥२२॥ श्वत सर्षय संयुक्त मज्जा वीरेण लेपटोत् नरव सवंट संयक्तं निबं पत्रेण धपोत एवं कृते प्रयत्नेन प्रजा मुंचति संग्रही ॥२३॥ बालक को तीसरी शत घंटाली नामकी देवी (ग्रही) कष्ट देती है। उसके पकड़ने पर बया जंभाईलेता है। और हंसता रहता है। मजबूती से आंखे बंद कर लेता है। और स्तन नहीं लेता है। इसके लिये पांच रंगों की मिठाई और उड़द का भोजन को मिट्टी के बर्तन में रखकर मंत्री मंत्रपूर्वक बलि को श्मशान में रखे हाथी के दाँत , गाय के दांत, साँप की काँचली, वेत सरसों को बकरी के दूध CSCIECISIOTICISIOTSIDE ४४९ PSDISTRISTOTSIRIDICISISTS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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