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________________ CSCISIOTSTI5015125 विधानुशासन VIDI5015250SIDESI निधना समसेना च जन्यसारी जटाधरी शक्तिशा निर्जटा चेति त्रिंशद्दिन पिशाचिका ॥६॥ मंदनासा १ भद्रा २ घंटाली ३ वाहिसी ४ शामी ५ मर्मण ६ सुभटा ७ मद्य शास्ना ८ शास्त्री ९ दशानना १० महात्मया ११ काकनाशिका १२ साहिका १३ चामुंडा १४ कुमारी १५ महेवरी १६ यारूणी १७ पृथ्वी १८ वापणी १९ कपोतिनी २० डाकिनी २१ जटाधारी २२ महानंदी २३ अंबिनी २४ निघना २५सभसेना २६ जन्यसारी २७ जटाधारी २८ शक्तिशा २९ निजटा ३० तीस दिन तक कष्ट देने वाली पिशाचिनी कहलाती है। प्रथम वर्ष के बारह महिन में कष्ट देने वाली १२ पिशाचिनों के नाम रेवती यामिनी चैव परामुख्यऽझुंजानना दीनास्टार घोषा वनवासी समुद्रिका ॥७॥ सकला बंधु मुख्या च चपला च तथा ग्रही एता मासेषु बालानां ग्राहिकास्त पिशाचिका । ॥८॥ रेवती १ यामनी र पराङ्मुखी ३ अंबजानना ४ दीनास्या ५ घोषिणी ६ वनवासिका ७ सामुद्रिका ८सुकुला ९ बंधमुख्या १० चपला ११ ग्रही १२ यह बालकों को बारह महिनों में दुख देने वाली १२ पिशाचिनी है। प्रथमा रक्त कंठी च सौमीस्या च चंचला तथा दोहेष्टी रोहिणी चैव उग्र चामुंड नासिका ॥९॥ राक्षसी सरसाला च चंडा च भूण कोकिला निर्द्धना कामुका चैव भैरवी यायिनी तथा रोरवी चेति निर्दिष्टा वर्षे शासन देवता गृहत्ये तानिज काले बाला स्तांनटाते बलात् ॥११॥ पहिली रक्त कंठी १ सौमी २ चंचला ३ दाहेष्टी ४ रोहिणी (स्वेनिका) ५ उम्र चामुडा (कुष्मांडी राक्षसी ७शरसाला ८ चंडी ९ कोकिला १० निर्धना १२ कामुका १३ भैरवी १४ वाधिनी१५ रोकी १६ यह सोलह वर्ष की शासन देवियां कही गई है। यह देवियां अपने अपने वर्ष में (दूसरे से सोलहवें) तक बालकों को बलपूर्वक पकड़कर कर दुःख देती है।
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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