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________________ 35100513151315015515 विद्यानुशासन 20510051315015015ISI उसके बाहर अष्टदल कमल बनाकर उसकी दिशाओं के पत्रों में किराता हंसः) और दूसरों में दंडि अर्थात अंतस्थ (य र ल ब) लिखकर इस यंत्र के बाहर शक्ति (ही) से तीन बार वेष्टित करके क्रों से निरोध करें। इस यंत्रको अच्छे मुहुर्त में गोबर में उसी का रस मिलाकर उसी से भोजपत्र पर ,सोने की कलम से भली प्रकार लिखे। यदि इस यंत्र को बच्चे मरजाने वाली स्त्री के कंठ में पहनाया जाये तो यह उसको दीर्घायु लक्ष्मी कल्याण कांति और सुंदरता वाले पुत्र देता है। 12 दबदत हसः एतद् यंत्र द्वय स्योद्धार गर्भ वृद्धि वा गर्भ रक्षा की औषधि बीज पुरस्ट बीजानि मूलं वा गर्भ वृद्धो पिबेदाज्टोन मूलं वा लक्ष्मणा हय गंधयो: ॥१॥ गर्भ वृद्धि के लिये बिजोरे के बीजों या जड़ को दूध के साथ पीयें अथवा लक्ष्मणा और असगंध की जड़ को दूध के साथ पीयें। SSIRSIOTSTRISISISTERSTATE ४११ ०352551035RISTRISTORIES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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