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________________ PSPSSSPA विधानुशासन 153) कृष्णाक्षरं सर्व शकरं न कार्य विनाशयंति संबंधि विकल्पनोर्द्धाधोक्षर भाषाक्षरैराकर्षण मुच्चाटनं करोति ॥ कृष्णाक्षर सब से सुख देते है । वह मिलाये जाने से कार्य को नष्ट नहीं करते उर्द्ध अक्षर और अधः अक्षर भाषा अक्षरों के साथ विकल्प से आकर्षण और उच्चाटन करते हैं। अव्याक्षरं स्तंभन प्रतिषेधं अधोरक्षर विकल्पेन सर्वकर्म करोति । प्रतिषेध कार्य रहित निर्विषाक्षरं विसर्गरहितं वश्यम मे वच ॥ अव्यय अक्षर स्तंभन और प्रतिषेध करते है । अधः अक्षर विकल्प से सब काम करते हैं, निर्विष अक्षर प्रतिषेध कार्य को नहीं करता विसर्ग रहित वशीकरण को ही करता है। तच्चतुस्त्रिंशधोरक्षरै: षोडशाक्षरः सर्वकर्म करोति । एकैकाक्षरं षोडशा मंत्रयंत्राणि भवंति ॥ 25PSPS चौबीस योगाक्षर और सोलह स्वर अक्षर सभी कर्म कर लेते हैं। एक एक अक्षर के सोलह मंत्र और यंत्र होते हैं । क्रिया कारक संबंधि पंचाशत चतुरोत्तर चत्वारिशन्मत्रं यंत्राणि भवंति मंत्र व्याकर्णे चतुर्थ प्रकर्ण क्रियाकारक से संबंध से पचास तथा ४४ चौवालीस मंत्र और यंत्र बनते हैं। बीजाक्षर सामर्थ्यं ह्रीं अं ह्रीं मृत्यु नाशनं ह्रीं आं ह्रीं आकर्षणं ह्रीं ई ह्रीं पुष्टि करं ह्रीं ई ह्रीं आकर्षणं ह्रीं ह्रीं बलकरं ह्रीं ऊं ह्रीं उच्चाटनं - श्री क्षोभनं श्री मोहनं लं विद्वेषणं लृ उच्चाटनं एं वश्यं ऎ पुरुष वश्यं ओ लोक वश्यं औ राज्य वश्यं अंगज वश्यं अः मृत्यु नाशनं ॥ ह्रीं मृत्यु नाशक है। ह्रीं आं ह्रीं आकर्षण, ह्रीं इ ह्रीं पुष्टिं कर्षण, ह्रीं ई ह्रीं आकर्षण, ह्रीं ॐ ह्रीं बल करने वाला, ह्रीं ह्रीं उच्चाटन, ॠ शोभनं ॠ मोहनं, लूं विद्वेषण, लूं उच्चाटनं, एं वश्य पुरुष वश्य ऐ लोक वश्य औं राज्य वश्य अं हस्ति वश्य अः मृत्यु नाशन है। 95% PSPSPA ३५ P596959595Pas
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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