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9501510651935125 विधानुशासन 265015015015015015
अह हा हि ही हुहूह हह हहे है हो होहं हः इति षोडशाक्षरै बीजैः परस्परं सहितं एषामक्षर बंध सहितं कर्म। अर्ह ह हा हि ही हु हू ह ह हहे ही हं हः इन सोलह बीजों से अदारों को बांधने का कर्म होता है।
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ अं अः एषाक्षरै विकल्पैनान्योन्य स्य निरोधं। अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ अं अः इन अक्षरों से विकल्प से एक दूसरे का निरोप होता है।
(स्वा) वाटा व्यावर माग्नेयाक्षरं मित्रं
(स्वा) यायव्याक्षरमा काशाक्षरह:पास्थर शभु स्वा (वायव्य)और रं (अग्नि) अक्षर परस्पर मित्र होते है। (स्वा) वायव्य और हं (आकाश) परस्पर शत्रु है। .
पृथिव्य क्षर (क्षि) म पक्ष र मित्रं पीताक्षर रक्ताक्षरं परस्परं संबद्धं ति (पृथ्वी) प (जल) मित्र होते है। पीताक्षर और लाल अक्षर एक दूसरे के संबंधी है।
कृष्णाक्षर हरिता अक्षर संबध स्वेताक्षरमात्म संबध काले अक्षर और हरे अक्षर एक दूसरे के संबंधी हैं श्वेत, अक्षर का अपनी ही संबंध होता है।
व्याक्षर पुलिंगाक्षरं मित्रं नपुंसकाक्षरमुदासीनं स्त्री अक्षर और पुलिंग अक्षर मित्र होते हैं और नपुंसक अक्षर उदासीन होते है।
- ज क ग ल ल ए ऐ अभक्ष संबधं च उ एकार संबधं चशकार संबधं ज क ग ल ल ए ऐ अभक्ष संबंध होता है। और उ ए का संबंध है और श का संबंध है ।
ऋय र ण म अतत्संबंध विकल्पेन संयोगसंबंध
स्य पछझट धफव प्रसंबंधशेषअक्षर मुदासीनं ऋऋ य रण और म का संबंध नहीं होता है विकल्प से संयोग संबंध हो जाता है ख ध छ झ ठय फ व का और प्रकार संबंध होता है। शेष अक्षर उदासीन रहते है।
आधाराक्षरै ज्जालयान् आधारावर संयुक्तं चयोक्षरै बलीयान् आधार अदारों से आधार अक्षरों को मिलाकर जल बनाये उनमें जो अक्षर बलवान हो उसी से मिलावे।
CSCTERISCISIOSDISOR ३४ DISCIROIROIDS50505