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CASICI50151055015105 विद्यानुशासन 95015250STORITIES
भावितं सु बहुब्बारान्नारि केरी फलांबुभिः माष दूर्ण घृतेनाद्याद्योगोयं वृष्य उच्यते
॥१३॥ नारियल के जल में बहुत बार भाषित किये हुए उड़द के चूर्ण को घृत के साथ खायें तो पौष्टिक योग है।
मूलमौटुंबई सापः शानिमितं यः पिबेत्सततं गच्छेत् प्रमदाचट को यथा
॥१४॥ जो पुरुष उदंबर (गूलर) की जड़ को घी शक्कर और दूध के साथ मिलाकर पीता है वह स्त्रीयों के पास निरंतर चिंडे के समान ही मस्त होकर जाता है।
गुप्ता बीज बला नागबला गोक्षुर शर्कराः पिष्टवा क्षीरेण पीतास्युःशुक्रवर्द्धन हेतवे
॥१५॥ कोंच स्परेटी गंगेरन गोखरू को पीसकर उसमें शक्कर मिलाकर दूध के साथ पीने से वीर्य बढ़ता
है।
यव माष स्वयं गुप्ता यष्टि गोक्षुर का स्थिभिः गव्येन पयसा पीतै भवेष्य मनीद्दशं
॥१६॥ जो उड़द कोचं मुलैठी गोखरू के बीच की लकड़ के चूर्ण को गाय के दूध के साथ पीने से अपूर्व पुष्टि होती है।
फल मलदलान्यऽस्व गंधायाः पासा पिबेत
गव्ये नापि जरद गच्छे दक्षीणो टोषितां शतं ॥१७॥ असगंध की के फल जड़ और पत्तों को गाय के दूध के साय पीने से वृद्ध पुरूष भी सौ स्त्रियों के पास जा सकता है।
स्वयं गुप्ता फल रजो गोक्षुरास्थि रजोयुतं गव्येन पयसा पीतं स्याटेलनिय यर्द्धनं
॥१८॥ कोंच के फल का चूर्ण और गोखरू के बीच के भाग के चूर्ण को गाय के दूध के साथ पीने से बलेन्द्रिय बढ़ती है।
तिल माषाऽत्म गुप्तास्थि विदारी शालि तंदुलौ
क्षीरेण कलितैः पीते रस माप्ता भवद्भतिः तिल उड़द कोंच की लकड़ी बिदारी कंद और साठी चावल को दूध के साथ पीने से अपरिमित स्तंभन होता है। C501501505501512151075 ३९६ P1512552152150SISCIES