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S50150150505125 विधानुशासन 50550551015015DISH
ॐाल्यू व वषट जटो विजये अजिते अपराजितेज्म्ल्यू जंभे भल्य मोहे म्म्ल्यू स्तंभे झल्यू स्तभिनी मम अमुक स्त्री नाम चेतो रंजय आं ह्रीं क्रौं क्ष वषट् कल्च्यूँ ॐवषट वषट भैरव पद्मावती कल्प के अनुसार त्रिलोह तान द्वादश भाग तार शोडष भाग स्वर्ण त्रि भाग ज सोलह भाग में से बारह भाग तांबा एक भाग लोहा और तीन भाग सोना भी त्रिलोह कहलाता है।
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स्तंपनी
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स्वाहा
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स्वाहा मोहे
स्वाहा
अनवट
क्षाधक्षर पदे योज्यं शिलातल संपुटे
विलियो वींपुरं बाह्ये स्तंभनं तालकादिभिः पूर्वोक्त यंत्र में क्ष वषट बीज के स्थान में ले बीज सहित यंत्र को दो पाषाण की शिलाओं के बीच में हड़ताल आदि पीले द्रव्यों से लिखकर रखे जिसके बाहर पृथ्वी मंडल बनाकर उसके बाहर त्रिमूर्ति अर्थात ही कार का वेष्टन करने से क्रोधादि का स्तंभन होता है।
CISISTRICISIOSSIRIDICISCE३८६ PSIRIDIOTSIDERERYSIOTS