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________________ 252525252525 fuggiera VSPSESE/SPSPS. उपरोक्तं यंत्र में म अक्षर के स्थान में चौथा स्वर अर्थात् ई अक्षर को नाम सहित उसको सोने के जंतर में मंदवाकर भुजा या गले में पहिने तो यह यंत्र सदा तरूणी जवान स्त्री को मोहित करता है। ॐ क्षम्ल्यू ई जये विजये अजिते अपराजिते जम्ल्यू जंभे भ्म्ल्यू मोहे म्म्ल्यू स्तंभे हम्ल्यू स्तंभिनी अमुकी मोहय मोहय मम वश्यं कुरू कुरू आं ह्रीं क्रों ई क्ष्म्ल्यू ॐ वषट् । स्वाहा भि Habit घ स्वाहा मोह CE 1000 ईदेव 33 विजये स्वाहा को ई स्तंभनी स्वाहा Factor gre 宿 जल् जंभे स्वाहा ग वषट वर्ण युतं कूटं लिके दीकार धामनि भूर्जपत्रे सिते त्यंते रोचना कुंकुमादिभिः त्रिलोह वेष्टितं कृत्वा बाहौ वा धारयेत् गले स्त्री सौभाग्य करं यंत्रं पुंसां चेतोमि रंजनं ॥ उपरोक्त यंत्र में कूटाक्षर क्षकार सहित वषट बीज को अर्थात् क्ष वषट को ई अक्षर के स्थान में अत्यंत श्वेत भोजपत्र पर गोरोचन कुंकुम आदि से लिखे, फिर इस यंत्र को त्रिलोह के जंतर में जिसमें स्वर्ण तीन भाग ताम्र बारह भाग चांदी सोलह भाग हों मंदवाकर, भुजा में या गले मे धारण करने से यह यंत्र स्त्री के सौभाग्य को बढ़ाता है तथा पुरुषों के वा स्त्री के मन को प्रसन्न रखता है । Pho 959595 ३८५ 25/5 एनएनएक
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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