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________________ S5015015015015105 विधानुशासन PISTOISRTSIDHSD1512151 फट स्थान में लिरवेद्भातं भूर्जे तम्माम संयुतं विषोपयुक्त रक्तेन नील सूत्रेन वेष्टियेत् ॥ मृत्यु त्रिकोदरे स्थाप्यं तत श्मशाने निवेशयेत् सप्ताहा ज्जायते शत्रो: छेद भेदादि निग्रहः पहिले के अर्थात उपरोक्त यंत्र में फट के स्थान में मं अक्षर को नाम सहित भोजपत्र पर श्रृंगी विष और गधे के रक्त से लिखकर, नीले धागे से लपेटकर, श्मशान में दग्ध राख की पुतली के पेट में रखकर, श्मशान में रखने से सातदिन में सत्रु का छेदन भेदन आदि निग्रह हो जाता है। ॐम्ल्यूँ मं जय विजये अजिते अपराजिते ज्म्ल्व जंभे भल्व्यू मोहे म्मल्यूं स्तंभिनी हल्व्र्दू स्तंभिनी मम अमुक शत्रु मुच्छेदा मुच्छेदय आं ह्रीं कौं मं मल्ट ॐयेथे wahte स्तंभे स्वाहा अजिने स्वाहा विजये तूर्य स्वर लिरवेद्विद्वानम् स्थाने नाम संयुतं कुकंमागरु कपूरै : भूयें रोचनयान्वितै, स्वर्ण मठितं कृत्वा वाही वा धारटो द्रले करोति इदं सदा यंत्रं तरुणी जनमोहनं ॥ SSCIRCISPIRICISTRATOR ३८४ PIECIROIRCISIOTECTORIES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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