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________________ 9851015131505121525 विधानुशासन VSIRI595015015015 ॐ क्षम्ल्यूँ जये विजये अजिते अपराजिते जम्ल्यू जंभे समन्वयू मोहे म्म्ल्यू स्तंभ हल्व्यू स्तंभिनी अमुका अमुकौ परस्पर विद्वेषय विद्वेषय आं ह्रीं क्रौं ये धम्ल्यू ॐ हूं पूर्वोक्तक्षर संस्थाने लेविन्या काक पक्षयोः मांतं विसर्ग संयुक्तं प्रेतांगारे विषारूणै ॥ धूकारि विष्टा संयुक्त वंजे यंत्रंसनामकं लिरिवत्वो परिवृक्षाणां वद्ध मुच्चाटनं रिपोः ॥ उपरोक्त यंत्र में कौवे के पंखों की कलम से श्मशान भूमि की राख्न और उल्लू की विष्ठा की स्याही से वृक्षों के ऊपर नाम सहित य बीजों को दो बिन्दु की विसर्ग सहित लिखने से शत्रू का उच्चाटन होता है। *सगट यः बारे विज्ञा आंगते हाजिते उम्ल्यू जंभे भल्यू मोहे म्ल्यू स्तंभे हल्ल्यू स्तंभिनि अमुक मुच्चाटटा फट । - comments women स्वाश स्वाहा विष्टले स्वाहा SSIOTRICISCISISTERISP5 ३८१ 1505RISTRIDICTICISCESS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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