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________________ CISIOESD1510151055125 विधानुशासन 950505015015015 भूयें सुरभि द्रव्यै चिलिख्य परिवेष्टय रक्त सूत्रेण निक्षिप्य सिल्ह भांडे मधु पूर्णे मोहयत्यवलां भोजपत्र पर सुगंधित कुंकुम आदि द्रव्यों से इस यंत्र को लिखकर लालरंग के डोरे से लपेटकर मधु से भरे हुए बिना पके हुए मिट्टी के कुम्हार के कच्चे बर्तन में रखा जाने से स्त्री का मोहन करता इसका मूल मंत्रोद्धार यह है। ॐ मल्यं क्लीं जये विजये अजिते अपराजिते जमल्दा जंभे माल्टा मोहे म्म्ल्यू स्तंभे हाल्व्यू स्तंभिनी क्रौं क्लीं क्रौं अमुकी मोहय मोहय मम वश्यं कुरु कुरु आं कों ह्रीं क्रों क्लीं क्ष्ल्यू ॐ वषट् । मोहन विधिका क्लीं रंजिका यंत्र क्ली रंजिका यंत्रं क्लीं रंजिका यंत्रं भूयें सुरभि द्रव्ये लिरिवत्वा रक्त सूत्रेण वेष्टियित्वा कांच भांडे मधुपूर्णे मध्ये पालनीय मोहयत्यऽबला । FIGDhee संपनी मालीदेव स्वाहा मोहे विज्ये ॐ मल्च्यू क्लीं जये विजये अजिते अपराजिते ज्म्ल्यूं जंभे झल्व्यू मोहे म्म्ल्यू स्तंभे हल्यूं स्तंभिनी अमुकी मोहय मोहद्य मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। CASCISIOTICIDIOSEKSIC75 ३७७ PAHIRISTOTICESSISTORICTS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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