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CSCIRCISIOETRISTS विशानुशासन LISTRICTADISCIRCISS
स्त्री कपाले लिरयेांनं क्लीं स्थाने भुवनाधिपं
त्रिसंध्यं तापोद्रामा कृष्टिः स्थास्यदिउराग्निना ॥ स्त्री के कपाल पर यदि पूर्वोक्त यंत्र को क्लीं के स्थान में ही रखकर (लिखकर) खदिर (खेर) के कोयले की अग्नि में प्रातः मध्यान्ह और सायंकाल की तीनों संध्याओं में तपाये तो स्त्री का आकर्षण होता है। ॐवल्च् ह्रीं जये विजये अजिते अपराजिते जमल्ट, जंभे मल्टयू मोहे मल्ब्यूँ स्तंभे हल्ल्यू स्तंभिनी अमुकी आकर्षय आकर्षय संयोषट ॥
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स्त्री कपाले सुरभि द्रव्यै लिरिवत्वा खदिराग्नि ता तापयेत् रामाकृष्टि भवति ।।
ॐक्षयू ही जये विजये अजिते अपराजिते उम्स्च्यू जंभे मल्व्यू मोहे मस्च्यू स्तंभे हल्व्यू स्तंभिनी अमुकी मम आकर्षय आकर्षय आं ही कौं ह्रीं क्षयूं ॐ वषट् ॥
SSIOISO151050505125 ३७८ P1515350IDIOTSIDASCISION