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DISTRI51035501509 विधानुन HEIDOSSAMISSION इत्याधावार्य उसके बाहर अष्टदल कमल बनाकर एक पत्र में मां दमी क्ष्मू दमौं दमः हां ही हूं हौः हः नमः श्री घोणसे शेष सातों पत्रों में क्रम से घ घ घ घ स स स सस ह ह ह ह ह व व व य य ढ ढ ढ ढ त त त त त ग ग ग ग ग पूर्व आदि दिशाओं के पत्रों में उपरोक्त मंत्र को विभक्त करके लिखे। उसके बाहर के वलय में निम्न मंत्र लिखे।
वर विहंगम भुजे मां क्ष्मी क्ष् क्ष्मौं क्ष्मः हां ह्रीं ह्रौं हःहीं शोषय शोषय रोषय रोषय ॐआंकों ह्रीं श्वी क्ष्वी हः ज ज ज ठः ठः ॐ हीं श्री योणसे नमः देवदत्तस्य
शांति तुष्टिं पुष्टिं ग्रहोप शांतिं सर्वजन वश्यं च कुरु कुरु स्वाहा। इस वलय के पश्चात ह्रींकार से तीन बार वेष्टित करके क्रों से निरूद्ध करें इससे छहों कर्मो की सिद्धि होती है।
ॐ पार्श्वनाथाय नमः
द्वादश पत्रांबु रूहं मलवरयूँकार संयुतं कूट
तन्मध्टो नाम गुतं विलिरवेत क्लींकार सं रूद्धं ॥ बारह दल के कमल की कर्णिका में क्लींकार से संरुद्ध नाम सहित लिखे मलयर यूँकार सहित कूटाक्षर क्षकार वाले एम्प्यूँ में देवदत्त नाम सहित लिख्खे इस अक्षर की पार्श्व में अर्थात दोनों तरफ क्लीं लिख्ने।
विलिरवेत् जयादि देवीः स्वाहांतोकार पूर्विका दिक्षुः
जभमह पिंडोपेता विदिक्षजंभादिका स्तद्वत जयादि चारों देवियों के नाम को ॐ आदि में और स्वाहा अंत में लगाकर चारों दिशाओं में लिखें ॐ जये स्वाहा पूर्व दल में ॐ विजये स्वाहा, दक्षिण दल में ॐ अजिते स्वाहा, पश्चिम दल में ॐ अपराजिते स्वाहा, उत्तर दल में लिखे -ज भ म ह पिंडाक्षरों को विदिशाओं में जंभा आदि चारों देवियों के नाम को पहिले की तरह आदि में ॐ और अंत में स्याहा लगाकर लिखें। ॐ जाल्यूं जंभे स्वाहा अग्नि कोण की दिशा में ॐ भम्ल्यू मोहे स्वाहा नैऋते दल में ॐम्म्ल्यू स्तंभे स्याहा वायव्य दल में ॐ हल्ल्यूं स्तंभिनी स्वाहा ईशान दल में लिखे।
उद्धरित दलेषु ततो मकरध्वज बीजमालिरवेत् चतुर्यु
गज वशकरण निरूद्ध कति त्रिमायया वेष्टयं आठों दलों में लिखने के बाद चारों शेष दलों में मकर ध्वज बीज क्लीं को लिखें, इन बारह दलों के बाहर ह्रींकार के तीन आवर्त बनाकर क्रों से निरूद्ध करें।
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