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________________ CTERISTRISDISTRI525 विद्यानुशासन 95015IDISCSCRISTOTKE उसके बाद ही वर्ण के चारो तरफ आठ कोठों वाला गोला खींचे उन कोठों में सुंदर लक्षणों या विद्वान पुरुषों को यह लिखना चाहिये। ॐ ह्रीं सरिभ्यो नमः कालि मादिगागों आगे देव्यै नहीं लिखना है दिग्पाल भी नहीं लिखना है ॐ ह्रीं ची क्षः चारों दिशाओं पृथ्वी मंडल में है | ही कुबेराय नमः V lis t iates हीबायो नमः Nak ONARIA uarpur وقلعتها be Yuntain IHAR भायाधिप होणानाय नमः MAJALI नित्याय aktanextite Beta ३ *होप दहीवरुणाय नमः सभ्यासानाय म. ही पाठकंध्यो नमः नमः कलाम THE 9F मावा कि ESHVARNAKAM KAN T भम ज्योरिट्राय 26 aak bokan &xxANS tok22 सप्तर लहान नम समभ. म. 19/ भ७३ म taka ही अहंदभ्यो नमः मो नमः Aribe 9N डौनशतेय नमः नमः देशाप्यो परमावायला M सरस्वाय ति बीमारसरता समी जातीय shaientU Fakathan १ अ आ इ ई उ ऊ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ अं अः ह्मल्यूँ २ क ख ग घ ङ भल्व्यू ३ च छ ज श य म्म्ल्यू ४ ट ठ ड ढ ण रम्ल्यू ५ त थ द ध न प्म्ल्टा ६ पफ ब भ म ल्यू ७ य र ल व स्स्ल्यू श ष स ह रम्ल्दी SSORSCISRISIRISRUSSY ३७२ PISIOISSISDISTRISTRISESSI
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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