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ततश्च वलय: कार्यों लेख्या स्तत्राष्ट कोष्टकाः तत्रेति लेख्यं विवुधैश्चातुर्यान्यित विग्रहैः ॥
इसके बाद फिर उसके चारों तरफ आठ कोठों वाला गोला खंचना उन कोठों में चतुरशरीर धारी बुद्धिमानों को ऐसा लिखना चाहिये।
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( १ ) ॐ ह्रीं अहं भ्यो नमः (२) ॐ ह्रीं सिद्धेभ्यो नमः ( ३ ) ॐ ह्रीं आचार्य भ्यो नमः (४) ॐ ह्रीं पाठकेभ्यो नमः (५) ॐ ह्रीं सर्वसाधुभ्यो नमः (६) ॐ ही तत्व दृष्टिभ्यो नमः (७) ॐ ह्रीं सम्यक ज्ञानभ्यो नमः (८) ॐ ह्रीं सम्यक् चारित्रेभ्यो नमः
ततश्च वलय: कार्यस्तत्र षोडश कोष्टकाः लेख्या स्तोति लेख्यं च विद्वद्भिश्चतुरैनरैः
उसके बाद सोलह कोठों वाला चतुर पुरुषों को ऐसा लिखना चाहिये ।
(१) ॐ ह्रीं भावनेंद्राय नमः (३) ॐ ह्रीं ज्योतिषष्केन्द्राय नमः (५) ॐ ह्रीं श्रुतावधिभ्यो नमः (७) ॐ परमावधिभ्यो नमः (९) ॐ ह्रीं बुद्धि ऋद्धि प्राप्तेभ्यो नमः (११) ॐ ह्रीं अनंत बल ऋद्धि प्राप्तेभ्यो (१३) ॐ ह्रीं रसऋद्धि प्राप्तेभ्यो नमः (१५) ॐ ह्रीं क्षेत्रऋद्धि प्राप्तेभ्यो नमः
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(२) ॐ ह्रीं व्यंतरेन्द्राय नमः (४) ॐ ह्रीं कल्पेन्द्राय नमः (६) ॐ ह्रीं देशावधिभ्यो नमः (८) ॐ ह्रीं सर्वावधिभ्यो नमः (१०) ॐ ह्रीं सर्वोषिधि ऋद्धि प्राप्तेभ्यो नमः नमः (१२) ॐ ह्रीं तपत्राद्धि प्राप्तेभ्यो नमः
(१४) ॐ ह्रीं विक्रिय ऋद्धि प्राप्तेभ्यो नमः (१६) ॐ ह्रीं अक्षीण महानस ऋद्धि प्राप्तेभ्योनमः
ततश्च वलयः कार्यः चतुर्विशंति कोष्टक: तत्र लेख्याश्च कर्तव्याश्चतुर्विशंति देवताः ||
उसके पीछे चौबीस कोठों वाला गोलाकार बनाये उन कोठों में चौबीस जैन शासन देवताओं को
लिखे यह ऐसे हैं ।
(३) ॐ ह्रीं धृति देव्यै नमः
(१) ॐ ह्रीं श्री देव्यै नमः ( २ ) ॐ ह्रीं ह्री देव्यै नमः (४) ॐ ह्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः (५) ॐ ह्रीं गौरी देव्टौ नमः (६) ॐ ह्रीं चंडिका देव्यै नमः (७) ॐ ह्रीं सरस्वती देव्यै नमः (८) ॐ ह्रीं जया देव्यै नमः (९ ) ॐ ह्रीं अंबिका देव्यैनमः (१०) ॐ ह्रीं विजया देव्यै नमः ( ११ ) ॐ ह्रीं क्लिन्नादेव्यै नमः (१२) ॐ ह्रीं अजितारि देव्यै नमः (१३) ॐ ह्रीं नित्या देव्यै नमः (१४) ॐ ह्रीं मदद्रव्या देव्यै नमः (१५) ॐ ह्रीं कामांगादेव्यै नमः
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