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________________ 959595959 १३. ओकार १४. ओंकार १५. अंकार १६. अः कार १७. ककार १८. खकार १९. गकार २०. घकार २१. डकार २२. चकार २३. छकार २४. जकार २५. झकार २६. ञकार २७. टकार २८. ठकार २९. डकार ३०. ढकार ३१. णकार ३२. तकार ३३. थकार ३४. दकार ३५. धकार नकार पकार ३६. ३७. विद्यानुशासन 95959599 सर्वमंत्र, संसाधन, पंचाक्षर गर्भित तप्तकांचन स्तंभन शक्ति प्रसन्न, अतिमधुर शुभ कर्म शासन स्तंभन, शांतिक, पौष्टिक, याकर्षणकारी चिंतित मनोरथकारी पीत श्वेत नपुं नपुं. पुं. सर्वशान्तिकर क्षत्रिय उच्चाटन, छेदन, मोहन, स्तंभनकारी, सर्वशान्ति कर महाशक्ति क्षत्रिय नपुं. दुष्ट स्वर, दुर्दष्टि नपुं. सुस्वर, सुमनप्रिय ब्राह्मण आकर्षणादि रौद्रकर्म कारक सर्वकार्य सिद्धिकारक वश्याकर्षण सत्यावादी धर्म-अर्थ-काम-मोक्षकारी, सत्यवादी, वश्याकर्षणकारी पुं. महाक्रूरस्वर, सर्वजीव भयंकर मृदुस्वर पुं. रक्षा, स्तम्भन, मोहन, कार्यसिद्धिकर क्षत्रिय रक्षा स्तम्भन मोहनकारी, शुभस्वी दुष्ट निग्रह, शिष्ट प्रतिपालन, रूद्रशक्ति, वश्याकर्षण शापानुग्रहकारी चन्द्रादि देवता पूजित सर्व कामादि रौद्रदृष्टि, रौद्रकर्म सर्वदुष्ट विनाशक नपुं. निष्ठुरध्वनि, मरकरन्दुन्मोक्षण, मंत्रसाधन नपुं. रौद्रकार्यकारक, रौद्रदृष्टि PSPSPSPSPSPSPA ३० PSP धूम्र पीत धूम्र ? श्वेत श्याम पीत कृष्ण कपिल शंख रक्त कृष्ण कृष्ण कषाय कृष्ण P59595
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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