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________________ CTECISISTRISTOTRIRIT विधानुशासन 985105501510051050ISS मनोस्य रूप सब महान देवों काआकर्षण करने वाले भूत, भविष्य और वर्तमान तीन काल और तीनों लोकों को देखने वाले सब लक्ष्मी आदि देवता रूप हकार की शक्ति है। क्षकार :- पुल्लिंग, पीत वर्ण, जंबूदीपो ध्यायं प्टोयम संख्यात द्वीप समुद्र व्याप्टोक मुरवं मरुद्गांभीर्याष्ट बाहुं बज पाश मूशल भुसंडि भिंडपाल गदाशंक चक्र हस्तं गजबाहनं चतुरसासनं सर्वाभरण भूषितं जटामुकुटधारिणं सर्व लोकपूजितं स्तंभनं सुगंधमाल्य प्रियं सर्वरक्षा करं सर्वप्रिटां काल ज्ञान महेश्वरं सकलमंत्रपियं रूद्राग्नि देवपूजितं क्षकारस्य शक्ति ॥३४॥ क्षकार :- पुलिग, पोत वर्ण, जॉप के समान ध्यान करने योग्य असंख्यात द्वीप और समुद्रों से व्यापी एक मुख वाला, वायु के समान गंभीर वज़ पाश-मूशल, भुसुंड, भिंडपाल, गदाशंखचक्र लिए आठ भुजायें गज वाहन चोखूटा आसन, सब आभरणों से भूषित जटा और मुकुट के धारक सब लोकों से पूजित, स्तंभन रूप सुगंधमालाओं को पसंद करने वाले, सबकी रक्षा करने वाले, सर्वप्रिय सबकाल के ज्ञान वाले, माहेश्वर सब मंत्रों को पसंद करने वाले, इन्द्र और अग्नि देवता से पूजित क्षकार की शक्ति है। वर्ण देम अक्षरों की शक्ति की तालिका अकार से लेकर हकार पर्यन्त एक एक अक्षर का लक्षण स्वरूप आदि क्रं अक्षर अक्षरों की शक्ति व कार्य लिंग १. अकारस्य अतीव बली, गंभीर हेमवर्ण २. आकारस्य महाद्युति कारक स्त्री श्वेत ३. इकारस्य मन्द स्वर, क्षत्रिय ४. ईकारस्य दिव्य शक्ति कारक श्वेत उकारस्य वश्याकर्षणकारक घूम्र ऊकारस्य फल शूलधर रक्त ऋकारस्य सर्वविघ्न विनाशक ऋकार कपिल लकार संर्वविघ्नकारी पीत १०. लकार उच्चाटन कारक क्षत्रिय पीत ११. एकार शुभकारक १२. ऐकार वश्याकर्षण शक्ति अग्नि EEEEEEE व्यभिचार मोहन SASCISIODOISISISIOTSITE २९ PERSIDASIRISTRISTOISIOIST
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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