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________________ 952525252525 Rangnica 959595952525 शः रक्त वर्ण दस सहस्र योजन लम्बा उसके आधा चौड़ा. चंदन की गंध, मधुर स्वाद, मधुर रस, चकवे पर चढे हुवे कमल सम शंख, चक्र फल और पद्म लिये हुवे चार भुजाये, प्रसन्न द्दष्टि, अच्छे मनवाला सुंगधित धूप को पसन्द करने वाला, लाल हार, सुन्दर आभरण तथा जटाधारी मुकुट पहिने हुवे वश्य आकर्षण शक्ति और पौष्टिककर्मों का कर्ता, अत्यंत प्रकाशित विद्या को धारण करने वाला, चन्द्र आदि देवता रूप शकार की शक्ति है। यकार :- पुलिंगं मयुर शिख वर्ण द्विभुजं फण चक्र धारिणं प्रसन्न दृष्टिः शत सहस्त्र योजना यामं तद् अर्द्ध परिणाहं आम्लरसं शील गंधं कूर्मासनं कूर्म वाहनं दृष्टि प्रियं सर्वाभरणभूषितं स्तंभन मोहन कारिणं इन्द्रादि देवतं षकारस्य शक्तिः ॥ ३१ ॥ पुल्लिंग, मोर की शिखा के समान वर्ण फल और चक्र लिए हुवे दो भुजायें, प्रसन्न द्दष्टि एक लाख योजन लंबा इसका आधा चौड़ा, खट्टा रस, सुन्दर गंध कूम्र्म्मासन, कूर्मवाहन प्रसन्न द्दष्टि सब आचरणों से भूषित स्तंभन और मोहन कारक इन्द्र आदि देवता रूप षकार की शक्ति है। सकार :- पुलिंगं श्वेत वर्णं चतुर्भुजं वज्र चक्र शंरय गदा आयुधं शत सहस्त्र योजन प्रमाणं मधुर स्वरं मौक्तिक वज्र वैडूर्य भूषणं सुगंध माल्यानुलेपनं शितांबर प्रियं सर्वकर्म कर्त्तारं सर्वमंत्रगण पूजितं महा मुकुट धारिणं वश्याकर्षण कर्तारं प्रसन्न द्दष्ट हंसवाहनं कुबैर दैवतं सकारस्य शक्तिः ॥ ३२ ॥ सकार :- पुल्लिंग श्वेत वर्ण वज्र चक्र शंख गदा लिये हुवे चार भुजायें एक लाख योजन प्रमाण मधुर स्वर हीरे मोती और वैडूर्य के आभूषण पहिने हुवे सुंगधित माला और अनुलेप युक्त श्वेत वस्त्र प्रिय सब कर्मों का कर्ता सब मंत्र से पूजित महामकुटधारी वश्य और आकर्षण के कर्ता प्रसन्न दृष्टि हंस वाहन कुबेर देवता रूप सकार की शक्ति है । हकार :- नपुंसकं सर्वव्यापि सित वर्णं सित गंध प्रियं सितमाल्यानुलेपन सितांबर प्रियं सर्वकर्म कर्तारं सर्वमंत्राग्र सर्वदेवता पूजितं महाद्युतिं अनेक मुद्रा आयुध युक्ति सपन्नं अचिन्त्य गति मनस्थापि विजयं चिंतित मनोरथं विकल्पं सर्वदेव महा कृष्टित्वं अतीतानागत वर्तमान त्रैलोक्य काल दर्शन सर्वश्र्यादिदैवतं हकारस्य शक्ति ॥ ३३ ॥ हकार :- नपंसुक, सर्वव्यापी, श्वेतवर्ण, श्वेत गंध, प्रिय श्वेतमाला और अनुलेप युक्त श्वेत वस्त्र प्रिय सर्वकर्मों के कर्ता, सर्व मंत्रो में प्रधान सर्व देवताओं से पूजित महान कांति वाले अनेक मुद्राओं शस्त्र तथा युक्तियों से युक्त अचिंत्य गति वाले स्थायी न रहने वाले, विजय करने वाले चिंतित 959595959SP २८ 9595959519
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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