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विद्यानुशासन
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वाला. प्रसन्नता युक्त व्यभिचार कर्मप्रिय सब देवताओं की अग्नि तथा प्रलय काल की अग्रि रूप तीव्र ज्योति वाला, अनंत मुख, अनंत बाहु वाला, सब गर्भों का कर्ता, सर्व लोकप्रिय हरिन बाहन, गोल आसन, अंजन वर्ण महामधुर ध्वनि युक्त वायव्य देवता रूप यकार की शक्ति है।
॥ २७ ॥
रकार :- नपुंसकं सर्वव्यापी द्वादशादित्य प्रभंज्वाला मालं कोटि योजन धुतिं सर्व लोक कर्तारं सर्वहोम प्रियं रौद्रं शक्तिं स्त्रीणं पंच सायकं पर विद्याछेदनं आत्म कर्म साधनं स्तंभन मोहनकर्तारं जंबुद्वीपविस्तारं मेषवाहनं त्रिकोणासनं अग्निदैवतंस्कारस्य शक्ति नपुंसक, सर्वव्यापी, बारह सूर्यो के समान प्रभा युक्त अग्नि स्वरूप, कोटि योजन तक कांति वाला सब लोकों का कर्ता, सर्व होम प्रिय रौद्र शक्ति स्त्रियों के लिए पांच बाण, दूसरे की विद्या का नाशक अपने कर्म का साधक, स्तंभन और मोहन करने वाला, जंबू द्वीप प्रमाण विस्तृत, मेंढे के वाहन वाला त्रिकोण आसन, अग्नि देवता रूप रकार की शक्ति है ।
लकार:- पीतवर्णं चतुर्भुजं वज्र चक्रं शूल गदा युधं गजवाहनं स्तंभन मोहन कर्तारं जंबूद्वीप विस्तारं मंदगतिप्रियं महात्मानं लोकालोक पूजितं सर्वजीव धारिणं चतुरस्त्रासनं पृथ्वी जयं इन्द्र दैवतं लकारस्य शक्ति
॥ २८ ॥
पीत वर्ण, वज्र शूल, चक्र और गदा के लिए हुवे चार भुजायें हस्ती वाहन स्तंभन और मोहन करने वाला, जबूद्वीप प्रमाण विस्तृत मंदगति को पसन्द करने वाला, महात्माओं लोक और अलोक से पूजित सब जीवधारी रूप चोखदा आसन पृथ्वी को जीतने वाला इन्द्र देवता रूप लकार की शक्ति है।
वकार :- श्वेतवर्ण बिन्दु सहितं मधुर क्षारं रसं विकल्पे न नपुंसकं मकरवाहनं पद्मासनं वश्याकर्षण निर्विषं शांतिकरं वरुणादि दैवतं वकारस्य शक्ति ॥ २९ ॥ श्वेतवर्ण बिन्दु अनुस्वार सहितं मधुर और खारा स्वादा वाला, विकल्प से कर्म का नपुंसक मकर वाहन वाला, पद्मासन वश्य आकर्षण निर्विष और शांति कर्मों का करने वाला, वरुणादि देवता रूप वकार की शक्ति है।
शकार :- रक्त वर्णं दश सहस्त्र योजन विस्तीर्ण तद् अर्द्ध परिणाहं चंदन गंध मधुरस्वादं मधुर रसं चक्रवा का रूढं कुवलयासनं चतुर्भुजं शंख चक्र फल पद्म हस्तं प्रसन्न दृष्टि सुमनसं सुगंध धूप प्रियं रक्त हारं शोभना भरणं जटामुकुटधारिणं वश्याकर्षण शौतिक पौष्टिक कर्तारं उदितोदित विद्याधरं चन्द्रादि दैवतं शकारस्य शक्ति || 30 ||
959595959PSA २७ PS9595959595 PS25P: