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________________ SCRIPTERISTOTRIOTSITE विद्यानुशासन PRICESSOROSCIES ईगली के समान प्रभावाला, दस कोटि योजन ऊंचा उसके आधा चौड़ा लंबा, मोतियों के आभूषण और यज्ञोपीत को धारण करने वाला, दिव्य आभरणों से भूषित शंख चक्र गदामूसल कांड धनुष बाण और तोमर को लिये हुवे, अष्ट भुजा हंस वाहन, कमलासन, बोर के जैसा स्वाद वाला, बादल की गरजना के जैसा गंभीर स्वर, चम्पे की गंध वशीकरण और आकर्षण कर्म प्रिय और कुबेर देवता रूप बकार की शक्ति है। भकार:- नपुंसकं दशसहस योजनोत्से तड़परिवृतं निष्ठरं मनसं रत्नकठोर स्वादं शीग्रगति गमन कारि उर्व मुरवं त्रिनेत्रं चर्तुभुर्ज चकं शूल गदाशक्ति घरं त्रिकोणसनं ब्यान वाहनं लोहिताक्षं तीक्ष्णं उध्वकेशं विकृत रूपं रौद्र कांति निमिषार्द्ध सरणं सिद्धिं करं नैऋति दैवतं भकारस्य शक्तिः ॥२४॥ ऋ नपुसंक दश सहस्त्र योजन ऊंचा, उसके आधा गोला घेरा वाला, निष्ठर मन वाला, रूखे और कठोर शब्द याला (स्वाद वाला) शीघ्रगति से चलने वाला उर्द्ध मुख तीन नेत्र चार भुजायें चक्रशूल गदा और शक्ति लिए हुवे त्रिकोण आसन व्याघ्र वाहन वाला लाल नेत्र वाला तीक्ष्ण ऊंचे उठे हुये केश वाला विकृत रूप याला रोद्रा कांति आधे क्षण में शरण देने वाला सिद्ध करने वाला नैऋत देवता रूप भकार की शक्ति ॥ मकार : उदिटादित्यप्रभंअनंत योजन प्रभाशक्ति सर्वव्यापि अनंत मुरवं अनंत बाहुभूम्याकाश सागर पर्यंत द्दष्टि सर्व कार्य साधक अमरी करणं दीपनं सर्वगंध माल्यानुपनं धूप चळं काक्षतप्रियं सर्वदेवता रहस्टा सर्वकरणं प्रलयाग्नि शिरिव योति सर्वनायकं पद्मासन अग्नि देवर्त मकारस्य शक्ति ॥२५॥ उदय होते हुवे सूर्य के समान क्रांति, अनंत योजन तक प्रभाव, सर्व व्यापी अनंत मुख, अनंत बाहु भूमि, आकाश और समुद्र तक द्दष्टि वाला, सर्व कार्य का साधक और दीपन करने वाला, सब गंध मालाओं और अनुलेप युक्त धूप तरू अक्षत को पसंद करने वाला अभट करने वाला सब देवताओं में रहस्य रूप काम करने वाला , सबका स्वामी पद्मासन अग्निदेवता रूप मकार की शक्ति है। टकार :नपुंसकं भूम्याकाशदिशा विशेष सर्वव्यापी अरूपी शीय मंद गतिःयुक्तं प्रमोदं व्यभिचार कर्मप्रियं सर्वदेवताग्नि प्रलयाग्नि तीद्र ज्योति सर्वविकल्पं अनंत मुरवं अनंत बाहु सर्वगर्भ कर्तारं सर्वलोकप्रियं हरिणं वाहनं वृतासनं अंजनवर्ण महामधुरप्वनि वाराव्यं देवतं यकारस्य शक्ति ॥२६॥ नंपुसंक भूमि आकाश और सब दिशाओं में व्याप्त अरूपी शीघ्र और मंद दोनों प्रकार की गति SSIOISTRISTR5058ISTRIA २६ PSPIDITPSSIRIDIOSDISTORY
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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