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________________ CASIRISTRICISTOISIO5 विधानुशासन 9501501501501501 नकार :- कृष्ण वर्ण नपुंसकं त्रिशूल मुग्दलाशस्त्रं ऊध्य केशं व्याप्त चर्म धारिणं रौद्र दृष्टि :कठोर स्यादं कृष्ण सर्पप्रियंकाक स्वरं शत योजनोत्सेधं तद् अर्धायाम निर्यास गुगुल तिल तैल धूपप्रियं दुर्जन प्रियंरौद्रकर्म धरं यमादि दैवतं नकारस्य शक्ति ॥२०॥ कृष्ण वर्ण, नपुंसक, त्रिशूल और मुगल के शस्त्र वाला, ऊँचे उठे हुबे बालों वाला, सारे शरीर में व्याप्त है। चर्म को धारण करने वाला, रौद्रदृष्टि कठोर स्वाद काले सर्प से प्रेम करने वाला, कौवे जैसा स्वर वाला, सौ योजन ऊंचा उसके आधा चौडा बिनौले गूगन तिल का तैल और धूप को परन्द करने वाला, दुर्जन प्रिय रौद्रकर्म को धारण करने वाला यम आदि देवता रूप नकार की शक्ति है। पकार : असित वालिग जाति नुगःधं दश सिरं विशंति भुजं अनेक आयुधं मुद्रा परं कोटि योजन विस्तीर्ण द्विगुणयामं त्रिकोटि योजन शक्तिं गरुड वाहनं पद्मासनं सर्वाभरणभूषितं सर्प यज्ञोपवीतं सर्व देवता पूजितं सर्वदैवात्मकं सर्वदुष्ट विनाशामलयानिलं चंद्रादि दैवतं पकारस्य शक्ति : ॥२१॥ कृष्णवर्ण, पुलिंग चमेली के फूल के समान, गंध दस सिर और बीस भुजायें अनेक आयुध मुद्रा में लीन, कोटि योजन चौड़ा, दुगुना लम्बा तीन करोड योजन तक जाने की शक्ति वाला, गरूड वाहन पद्मासन सब आभरणों से भूषित सर्प की यज्ञोपवीत पहिने हुवे, सब देवताओं से पूजित, सब देवों में दुष्टों के नाश करने में समर्थ चंदन की अग्नि के समान चन्द्र आदि देवता रूप पकार की शक्ति फकार : विद्युत तेजं पुलिंगं पद्मासनं सिंह वाहनं दश कोटि योजनायामंतदर्द्ध विस्तार द्विभुजंपरशु चक्रधर केतकी गंध सिद्ध विद्याधर पूजितं मधुरं स्वादं व्याधि विष दुष्ट गृह विनाशनं सर्व महारति महादिव्य शक्ति शांति करं ऐशान्य दैवतं फकारस्य शक्ति ॥२२॥ बिजली के समान तेज वाला, पुलिंग, पद्मासन-सिंहवाहन, दश कोटि योजन लंबा उसके आधा चौड़ा दो भुजा परशु और चक्र लिए हुवे, केतकी पुष्प की गंध वाला सिद्ध विद्याधरों से पूजित मधुर स्वाद व्याधि विष और दुष्ट ग्रहों को नष्ट करने वाला, सबको अत्यन्त आनन्द देने वाला, महादिव्य शक्ति युक्त शांति कारक ईशान देवतारूप फकार की शक्ति है। बकार इंगलिकामं दश कोटि योजनोत्सेधं तद्र्द्धविस्तारं मौक्तिकं आभरणं यज्ञोपवीतं घर दिव्याभरण भूषितं अष्टभुजं शंख चक्र गदा मूशल कांड कण शरासान तोमारायुधं हंस वाहनं कुवलायसनं बदरीफल स्वादं धन स्वरं चंपक गंधवश्या कृष्टि प्रसंग प्रियं कुबैर दैवतं बकारस्य शक्ति ॥२३॥ COSPISOISTOTRIOSITION २५ DIDIOISTOTRIBRISTOTRIES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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