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________________ CISIO501501501501 विधानुशासन 9851015015015015ISI पद्मासन, गजवाहन, चमकते हुए आभूषणधारी, सो योजन लंबा उसके आधा चौड़ा, चंपे की गंध वाला परशुनाग पाश पद्म और शंक लिये हुवे चार भुजाओं वाला पुलिंग चंद्रादि देवताओं से पूजित, मधुर स्वाद वाला, सुगंधित प्रिय तकार की शक्ति है। थकार : वृषभ वाहनं अष्टभुजं शक्ति तोमर परशु धनुई पाश गदा चक्रधरं कृष्ण वर्ण कृष्णं वर्ण जटा मुकुट धारिणं कोटि योजना यामं तद विस्तार कर द्दष्टि कठोर गंधं धतूर रस प्रियं सर्वकामार्थ साधनं अग्नि दैवतंथकारस्य शक्ति ॥१७॥ बैल वाहन, आठ भुजायें,शक्ति-तोमर- परशु-धनुष-दंड- नागपाश गदा और चक्रा का धारक कृष्ण वर्ण कृष्ण वस्त्र, जटा और मुकुटधारी , करोड़ योजन लम्बा उसके आधा चौड़ा क्रूर दृष्टि कठोर गंध धतूरे के रस को पसंद करने वाला सब काम अर्थ को सिद्ध करने वाला अग्नि देयता रूप यकार की शक्ति है। दकारः महिष वाहनं कृष्ण वर्ण त्रिमुरवं षडभुजं गदा मूशल त्रिशूल भुसंडि यज तोमरधरं कोटि योजनयामं तदद्रं विस्तार दिगंबरं लोहाभरणं उर्ध्वदृष्टिः सर्प यज्ञोपवीतं निष्ठर ध्वनि मकरंद मुन्मोक्षणं मंत्र साधनं यम दैवतं कृष्ण वर्ण नपुंसकं दकारस्य शक्ति | ||१८॥ महिष वाहन, कृष्ण वर्ण, तीन मुख, छ: भुजार्ये गदा-मूशल-त्रिशू-भुशंडि-वज-तोमर धारण करने वाला, योजन का विस्तीर्ण उसका आधा चौहा दिगम्बर लौह का आभूषण वाला, उर्घ्यदृष्टि याला, सर्प यज्ञोपवीत वाला निष्ठर ध्वनि कमल को छुड़ाने वाला मंत्र को सिद्ध करने वाला यम देवता रूप कृष्ण वर्ण, नपुंसक दकार की शक्ति है। धकार :- पुलिंग कषाय वर्ण त्रिनेत्रं चतुरायुत योजन विस्तीर्ण रौनकार्य कारणं षटभुजं चक्र पाश गदाभुशंडि मुशल वज सराशऽनायुधं कष्णवर्ण कष्ण सर्प यज्ञोपवीतं जटामुकुट धारिणं हुंकार महानिनादं महाशूरं कठोरं घूम रौद्र दृष्टिः नैऋति दैवतं धकारस्य शक्तिः ॥१९॥ पुलिंग, कषाय वर्ण, तीन नेत्र और चार अयुत अर्थात ४० हजार योजन लम्बा चौडा रौद्र कार्य को करने वाला, छ: भुजाओं चक्र-पाश-गदा-भुशंडि-मूशल-वज-धनुष-बाण अस्त्रों के धारक, कृष्ण वर्ण वाला काले सर्प की यज्ञोपवीत पहिने हुवे जटाऔर मुकुट धारण करने वाला हुंकार रूप महान शब्द वाला महान शूरवीर कठोर धुए को पसन्द करने वाला रौद्र दृष्टि नैऋति देवता रूप धकार की शक्ति है। SMSDISTRISTRISTORTOISTOTA २४ PERSPECISIOISSIODI
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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