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________________ 95959595 विद्यानुशासन PPPSPSPSPS चौखुटा आसन, शंख के समान कांति, जंबू द्वीप के बराबर विस्तीर्ण, दूध और अमृत के समान स्वाद वाला, , पुलिंग, वज्र और पद्म लिए हुवे दो भुजायें रक्षा स्तंभन और मोहन कर्म करने वाला कपूर जैसी गंध वाला, सब आभूषणों से भूषित केले के स्वाद वाला, अच्छे स्वरवाला, कुबेर देवता रूप डकार की शक्ति है। ढकार : चतुरस्त्रासनं मोहन सन्निभं जंबू द्वीप प्रमाणं पुलिंगं अष्ट भुजं परशु पाश वज्र मूशल भिंडपाल मुग्दर चाप हल नाराच आयुधं सुस्वादं सुस्वरं महाध्वनि सिंहनादं रक्तवर्ण उर्ध्य मुखं दुष्ट निग्रह शिष्ट प्रतिपालकं शत योजन विस्तीर्ण सहस्र योजनावृत्तंतद अर्द्धपरिणाहं जटामुकुट धारिणं सुगधिंनिश्वासं किन्नर ज्योतिष्क पूजितं महासत्वं युतं कालाग्नि रूद्र शक्ति वश्याकर्षणं निमिषार्द्धसाधन विकल माग्रि दैवतं ढकारस्य शक्ति ॥ १४ ॥ चौखूंटा आसन, मोहन करने की आभा वाला, जंबू द्वीप के बराबर विस्तृत, पुलिंग, पाशुनागपाश, वज्र मूल- भिंडपाल - मुद्गर-धनुष-हल बाण लिए हुवे आठ भुजाओं वाला अच्छा स्वाद अच्छा स्वर सिंह के शब्द जैसी महाध्वनि करने वाला, रक्त वर्ण, ऊपर की तरफ मुख वाला, दुष्टों का निग्रह और शिष्टों का पालन करने वाला, सो योजन विस्तीर्ण, सहस्र योजन का गोल घेरे वाला, उसके प्रमाण ऊंचा, जटा और मुकुट धारण वाला, अच्छी गंध की निश्वास युक्त और किन्नर और ज्योतिष देवों से पूज्य, महान वीरता युक्त, प्रलय काल की अभि के समान भयंकर शक्ति वाला, वशीकरण और आकर्षण करने वाला और आधे क्षणमात्र में प्रसिद्ध होने वाला अग्निदेवता रूप ढकार की शक्ति है। कार :- त्रिकोणासनं व्याघ्र वाहनं शतसहस्त्र योजनायामं तदर्द्धविस्तारं षड्भुजं शशि तोमर भुडि भिंडपाल परशु त्रिशूल घरं कठोर गंधं शायानुग्रहं कृष्ण वर्ण रौद्रदृष्टिः क्षार स्वायुं नपुंसकं वायुदैवतं एकारस्य शक्ति 112411 त्रिकोण आसन, व्याघ्र वाहन, सो योजन लंबा, उसका आधा चौड़ा, छ भुजायें, चन्द्रमा, तोमर, Paris भिंडपाल, परशु और त्रिशूल शास्त्रों वाला, कठोर गंध शाप और अनुग्रह दोनों में समर्थ रौद्र दृष्टि वाला, नमकीन, स्वाद नपुंसक और वायु देवता रूपएकार की शक्ति है। तकार : पद्मासनं गजवाहनं शौर्यात्तभरणं शतयोजनं विस्तीर्ण तदर्द्धायामं चंपक गंधं चतुर्भुजं परशु पाश पद्म शंक हस्तं पुलिंगं चन्द्रादि देवता पूजितं मधुरस्वाद सुगंध प्रियं तकारस्य शक्ति: ॥ १६ ॥ CARAVANSPARSE: <3 P5252525252525
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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