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________________ CTERISTICISIOTSE5 विद्यानुशासन MISSISCIROIROIN साऽवधि ज्ञान जुषो जिनेशान विनाशिताऽशेष हषीक दोषान मनोज्ञ वेषान् महिमा युषस्तान् शुभुषयाम्य हण्याति हर्षात् ॐ ह्रीं अर्ह णमो सय्योहि जिणाणं जल मित्यादि ॥५ ॥ नमोऽस्त्वनन्ताधि बोध केभ्या इति प्रणुत्य प्रणिपत्या भक्क्या भजामि तान देश जिनानऽशेषा ननन्त सद्ज्ञान सुरवादि सिद्भौ ॐ ह्रीं अर्ह णमो अणंतोहि जिणाणं जल मित्यादि तिष्ठन्ति धान्यानि यथाढय कोष्ठे ण्यह्य संकरा यत्र तथैव रोषां बुधो विविक्ता विविधागमार्था स्तान् कोष्ठ बुद्धीन महमयामि धीरान् ॐ ह्रीं अर्ह णमो कोष्ठ बुद्धीणं जल मित्यादि ॐ हीं अहं णमो कोष्ठ बुद्धीणं जल मित्यादि बीजाक्षर ज्ञान कताभि योगात् प्राप्तान समस्त श्रुत याधि पारम्तान बीज बुद्धिन सुसपहिं भजामि भव्याध विधात् दक्षान् ॐ ह्रीं अर्ह णमो बीज बुद्धीणं जल मित्यादि ॥८॥ अधीत्य चैकं पदमात्र मेवो ते द्वादशांगार्थ विदोभयंतिपदाणु सारि प्रतिभान भंगां स्तान चयाभ्यम्बु मुरयैमहर्षीन् ॐ हीं अहँ णमो पदाणु सारिणं जल मित्यादि ॥९॥ CASIRIDIOIROIDIOISIOTSITER ३३७ PISOISODEDIOSOTRIOTI
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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