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________________ CASICISIONERISDISIO015 विधानुशासन 751005015015OISODSI षदकोण कोष्टं तिधि गंतु मध्ये षडष्ट पत्रं गणभत समंत्रः आवेष्टितं षोडश सत् स्वर श्च तदाहटो श्री गण नाथ यंत्रं ॥१॥ नीरेण गंधेन च तंदुलेन पुष्पेन हयेन च दीपकेन धूपेन रंभादि फलेन चाहं यजामि कोण स्थित वर्ण मात्रान् ॥२॥ जिनानऽशेषान जितकर्मशत्रून् नअवाप्त सद्ज्ञान विशेषभूपान्। निजात्म सिद्धायै प्रणि पत्य सम्यग् आराध्याम्यऽष्ट विद्यार्चनेनः - ॐहीं अहं णमो जिणाणं जलं निर्वपामीति स्वाहा ॐ ह्रीं अर्ह णमो जिणाणं गंध निर्वपामीति स्वाहा ॐ ह्रीं अहे णमो जिणाणं अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा ॐ हीं अह णमो जिणाणं पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ॐ हीं अहं णमो जिणाणं च निर्वपामीति स्वाहा ॐ ह्रीं अह णमो जिणाणं दीपं निर्वपामीति स्वाहा ॐ हीं अह णमो जिणाणं धूपं निर्वधामीति स्वाहा ॐ ह्रीं अह णमो जिणाणं फलं निर्वपामीति स्वाहा ॐ ह्रीं अर्ह णमो जिणाणं अर्ध निर्वपामीति स्वाहा ॐ ह्रीं अहं णमो जिणाणं शांतिधारा निर्वपामीति स्वाहा अनेन प्रकारेण तत्तन्मंत्रं भेदेन सर्वत्र पूजा कर्तव्योति - नमो विद्यायाऽवधिव जिने भ्टास्तां स्तन गुणार्थीगुण भूषितांगानप्रभूत कर्मेन्धन दाहदक्षान् जलादिमिस्तं परिपूजायामि ॐ ह्रीं अहं णमो उहि जिणाणं जल मित्यादि ॥३॥ प्रसन्न मूत्तीन् प्रहतारिवलात्तीर्न परापर ज्ञान परमाऽवधीशान जिनान निंधानऽरिवलाऽभि वंद्यानऽमि चंच जलं चंदनाद्यैः ॐ ह्रीं अर्ह णमो परमोहि जिणणां जल मित्यादि CSIOTHEI50150505105 ३३६ PISIOSITICISCI51015051 ॥४॥
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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