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SSISTRICTERISRROAT सिमाजुला HIDISTRI501512505 में अच्छे और बुरे को देखता है और मृत्यु के समय उसके परिणाम शुभ रहते हैं अर्थात् उसका समाधि भरण होता है। ॐ हं ह्रीं हूँ ही हस्याहा
इत गणधर वलय मूलमंत्रः
यह गणधर वलय मूल मंत्र है। , ॐ णमो अरहंताणं णमो जिणाणं हां ह्रीं हुं हौं ह्र: अप्रति चक्रे फट विचक्राय झौ झौं स्वाहा ॐ हीं अहं असि आउसा झौं झौं स्वाहा।
एतत्सर्वत्र योजनीयं । अन्य प्रकाशंतर माहः ॥
ॐहीं इयीं श्रीं अह णमो अरिहंताणं णमो जिणाणं हां ह्रीं हहौ हः अप्रति चके फट विचकाय स्वाहा ॐ हीं अहं असि आउसा झौ झौं स्वाहा ॥१॥
एतत्सर्वत्र योजनीयं विशुचिका शांति भवति इस मंत्र का प्रयोग करने से हैजा रोग की शांति होती है ।
ॐ ह्रीं इवी श्री अह ॐ णमो अरिहंताणं णमो जिणाणं हां ही हं ह्रो हू: अप्रति चके फट विचकाय असि आउसा झौं झौं स्वाहा ॥२॥
अष्टोत्तर शत पुष्पैजपेत ज्वर नाशनं इस मंत्र का १०८ बार जप करने से ज्वर नष्ट हो जाता है।
ॐहीं इथी श्री अॐ णमो जिणाणंणमो परमोहि जिणाणं हाहीं हूँ हो हःअप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौं शौं स्वाहा ॥३॥ शिरो रोग नाशयति यह मंत्र सिर के रोग को नष्ट कर देता है।
ॐ ह्रीं इवीं श्रीं अह ॐ णमो सव्वोसहि णमो जिणाणं हां ही हहौहःअप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौं झौं स्वाहा ॥४॥
अक्षि रोग नाशयति यह मंत्र आँखों के रोगों को नष्ट करता है।
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