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________________ やらでおでらでら XX विधानुशासन 959595959SP ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो उहि जिणाणं ॐ णमो जिणाणं अवधि ज्ञान प्राप्त जिन भगवान को नमस्कार हो । देश अवधि जिनानां देश तो याति कर्म क्षय विधानात् प्राप्त देशावधि ज्ञानानां देसोहि जिणाणं मिति पाठ देश अवधि जिनाना नाम एक देश घाति या कर्मों को क्षय करने का विधान होने से देशावधि ज्ञान के प्राप्त करने के कारण देशावधि जिन कहा है। ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो परमोहि जिणाणं परमोहि जिणं तदिधानं देवप्रत परम अवधि नानां परम अवधि ज्ञान प्राप्त करने वाले जिन भगवान को नमस्कार हो । ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो सय्योहि जिणाणं सव्वोहि जिणाणं प्राप्त सकल अवधि ज्ञानानां सकल अवधि ज्ञान धारी जिन भगवान को नमस्कार हो । ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो अणंतोहि जिणाणं अणंतोहि जिणाणं न विद्यते अंते यस्या सायनंतो भवांतरानुगामी सोवधि र्येषां ते च जिनाश्च देशत् कर्म क्षय कारका महर्षयस्तेषां ॥ ४ ॥ ॥५॥ अनंतावधि जिनानाम् जिसका अंत नहीं होवे उसको अनंत कहते हैं। दूसरे भव में साथ जाने याले अवधि ज्ञान कहा जाता है । उस ज्ञान के धारक एक कर्मों के नष्ट करने वाले महर्षियों को नमस्कार हो । अनंत अवधि ज्ञान के धारक जिन भगवान को नमस्कार हो । ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो को ट्ठबुद्धिणं कोट्ठ बुद्धिणं बुद्धिनां कोष्टांगार के घृत भूरि धान्या नाम विनष्टाव्यतीकीणीनां यथावस्थानं तथैवा च स्थान मद्य धारित ग्रंथानां यस्यां बुधौ सा कोष्ट बुद्धि तयो माहात्म्याद्विधते येषां ते कोष्ट बुद्धय कोष्टबुद्धिनां जिसप्रकार बड़े भारी धानों के कोठों में धान बिना नष्ट हुए और बिना बिखरे हुए जैसे के तैसे रहते हैं। उसी प्रकार उनकी बुद्धि में याद किये हुये ग्रन्थों का उसीप्रकार का माहात्म्य होता है। उनको कोष्ट बुद्धि वाले कहते हैं। こらこらこらこらでらでらでらでらでらでらでらです
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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