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HIROSTATERISTOTSTORE विद्यानुशासन HASIRIDICIRCISIOIDRIS ॐणमो पत्तेय बुद्धिणं ॐ णमो सयं बद्धीणं ॐ णमो बोहिय बुद्धीणं ॐणभो उज्जु मदीणं ॐ णमो विउल मदीणं ॐ णमो दसपुवीणं ॐणमो चउदस पुव्वीणं ॐणमो अटुंग महाणिमित्त कुशलाणं ॐणमो विउव्वण इट्टि पत्ताणं ॐणमो विज्जाहराणं ॐ णमो चारणाणं ॐ णमो पणसमणणं ॐणमो आगास गामीणं ॐ णमो आसी विसाणं ॐणमो दिहि विसाणं ॐणमा उग्मत्त वाणॐणमा दिलवाणॐणमो तत्तत वाणं ॐ णमो महात्त वाम ॐणमो घोरत्त वाणं ॐ णमो योर गुणणं ॐ णमो योर गुण परकमाणं ॐ णमो घोरगुण ब्रह्मचारीणं ॐ णमो आसो सहिपत्ताणं ॐणमो रखे लोसहि पत्ताणंॐणमोजलोसहिपत्ताणं ॐणमो विप्पो सहि पसाणं ॐ णमो सव्वोसहि पत्ताणं ॐणमो मण बलीणं ॐ णमो वचि बलीणं ॐ णमो काय बलीणं ॐ णमो रवीर सवीणं ॐ णमो सप्पि सवीणं ॐ णमो महुर सवीणं ॐणमो अमि सवीणं ॐणमो अक्षीण महाणसणं ॐणमो वट्ठमाणाणं ॐ णमो लोए सव्व सिद्धायदणाणं । ॐणमो भय वदो महदि महावीर वहमाण बुद्धि रिसीणं झौं झौं स्याहा चेदि
इति गणधर वलय मंत्र ॐहीं है झौं नौं नमः ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं हः अहं असि आउसा अप्रति चक्रे फट विचक्राय स्वाहा । ॐ ह्रां ह्रीं हूँ हौं हः अहन अप्रति चक्रे फट विचक्राय ही अह झौं शौं स्वाहा इमौं गणधर वलय मंत्रैः
अथ गणधर वलय मंत्री निरूप्य तेः ॐ णमो जिणाणं अनेक गहन प्रापन हेतून कर्मा रातीन जयंतीति जिणाः साकल्पेन धाति कर्म क्षयात प्राप्त केवल ज्ञानादि चतुष्टाया अर्हतः तेषां णमो नमस्कारोस्तुतेभ्यो नमः इत्यर्थः अत्रप्राकृते चतुया विद्यानांऽभावात संबंध मात्र विवक्षायां षष्टयेवस्थात् ॐ णमो जिनानाम अनेक जन्मों की गहन प्राप्ति के हेतु कर्म रूपी शत्रुओं को जीतने याले जिन कहलाते हैं, क्योंकि यह घातिया कर्मों को पूर्ण रूप से नष्ट करते हैं । जिन ही केवलज्ञान आदि अनंत चतुष्टय को प्राप्त करने वाले अर्हत हैं, उनको नमस्कार होवे। प्राकृत में चतुर्थी का विधान न होने से यहां संबंध मात्र विविक्षा में षष्टी ही की गई है।
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