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________________ SSCI5015105501585 विद्यानुशासन 95015TOSDISCISCISI इत्यनेन महाप्राण सिन्द्रि इस मंत्र से महाप्राण की सिद्धि होती है। ॐ णमोजिणाणं ॐ णमोरवीर सवीणंॐणमो सप्पि सवीणांॐणमोमहूरसवीणं ॐ णमो अमिद्य सवीणं हां ही हूं ह्रौं हू: अप्रति चक्रे फट् विचक्राय असि आउसा झौं झौं स्वाहा ॥ अनेन मंत्रेणा भिमंत्र्य सेवितमौषध ममृतोपतां भजति इस मंत्र से मंत्रित करके वन की हुई औषधि अमृत के समान हो जाती है। ॐ णमो जिणाणं ॐ णमो अक्षीण महाणसाणं हां ह्रीं हूं ह्रौं हः अप्रति चके फट् विचकाय असि आउसा झौं झौं स्वाहा अनेन भंडार सिद्धि | इस मंत्र से भंडार की सिद्धि होती है। ॐ णमो जिणाणं ॐ णमो वट्ठमाण बुद्ध रिसीणं हां ही हूं ह्रौं हः अप्रति चक्रे फट विचकाय असि आउसा झौं झौं स्वाहा॥ अनेन सारस्वतं सिद्धयति इस मंत्र सारस्थत सिद्ध होती है। ॐ णमो जिणाणं ॐणमो से ॐणमो आगास गामीणं नमः हां ह्रीं हूं ह्रौंह: अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौं झौं स्वाहा । अनेन च स्वप्र सिद्धि इस मंत्र से स्वप्न सिद्धि होती है। ॐ णमो जिणाणं ॐणमो योर गुणाणं ॐ णमो योर गुण ब्रह्मचारीणं नमः ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं हः अप्रचि चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौं झौं स्वाहा। अनेन च पर विजयः इस मंत्र से भी दूसरे पर विजय मिलती है। ॐणमो जिणाणं ॐ णमो सव्वोसहि पत्ताणं नमः ह्रां ह्रीं हूं हौं ह्रः अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौं झौं स्वाहा । अनेनऽचारोग्य सिद्धिः
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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