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95952959505015 विद्यानुशासन 1550 25050
शांतिक यंत्र
ॐ अर्हन्मुख कमल वासिनी पापावंक्षयं कारिणी श्रुत ज्ञान ज्वाला सहस्त्र प्रज्वलित सरस्वती अमुकस्य पापं हन हन दहदह क्षां क्षीं क्षं क्षौं क्षः क्षीर वर धवले अमृत संभवे वं मं हं सं तं पं द्रां द्रीं इवीं क्ष्वीं हंसः स्वाहा ।
अत्रममृतमंत्र:
ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः श्रीं ह्रीं कलिकुंड दंड स्वामिन सर्वरक्षाधिपतये देवदत्तस्य रक्षां कुरू कुरू स्वाहा
मूलमंत्राऽयं
॥ अयमेव रक्षा मंत्रीयं वेष्टन मंत्रश्च ॥
हुंकार रेह जुदं (रेफयुतं) अणल निरुद्धं सरेराह परिधिरयं (स्कार रूद्धं स्वरैः परिस्कृतं) वज्र रेहमिणं (वज्ररेरवाष्टभिन्न) वज्जते (वज्रन्ति) तहयतं लिहह (तथा चतत यत्रं लिख)
कंसेसु भायणामिति मुट्ठि माणेण सकुस दब्मेण । विर विद्य विद्या छेां पर विद्याणां ण संदेहो ॥
थाय जरं (स्थावर जंगमं ) वियना समई साहणि भुयाण रख सा जरका तत र र कमेण णासह दिट्ठ कलिकुंड दंडेण ॥ पुयकडणमियं आमिय सुमंतेणभीय अभियास्मि कलिकुण्ड दंड जुत्तं अट्ठसय लूण हतं पावे ।
ॐ ह्रां ह्रीं हुं ह्रीं ह्रः श्रीं ह्रीं कलिकुंड दंड स्वामिन्नतुल बल वीर्य पराक्रम पर विद्या छिंद छिंद भिंदभिंद आत्म विद्या रक्ष रक्ष हुं फट्
अयं यंत्र मंत्र ।
हुंकार रेफ युक्त अनल वायु तत्व कर निद्धकर फिर रेखा भिन्न भिन्न लिखे यह वज्र यंत्र है इसको अष्टगंध से डाम से लिखो तो परविद्या छेदन हो इसमें संदेह नहीं और छाया ऊपर ली नष्ट करे और शाकिनी भूत राक्षस यंत्र कृत उपद्रव नष्ट होते हैं। कार्य संपूर्ण होते हैं, अमृत मंत्र है सो कलिकुंड दंडयुक्त आठ अतिशय सहित रिद्धी संपद्धा पावें ।
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SPPA २८४PSI
P529526